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आचार्य सम्राट पुज्य जयमल जी म सा की 316वीं जन्म जयंती नार्थ टाउन में

आचार्य सम्राट पुज्य जयमल जी म सा की 316वीं जन्म जयंती नार्थ टाउन में

आचार्य सम्राट पुज्य जयमल जी म सा की 316वीं जन्म जयंती नार्थ टाउन में 30 तारीख से 8 तारीख तक नौ दिवसीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाएगी

नार्थ टाउन के ए यम के यम स्थानक में गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने फरमाया कि सम्यकत्व हर श्रावक और श्राविका को अपनाना चाहिए । सम्यकत्व से ही मुक्ति प्राप्त होती हैं सम्यक्त्व आने के बाद जा भी सकता है जब तक क्षायिक सम्यकत्व नहीं होता है तब तक शुद्ध धर्म का पालन करना पड़ता है। जैसे सम्यकत्व होता है वैसा ही धर्म होता है धर्म और मोक्ष मे ही सम्यकत्व द्वार है धर्म का मार्ग खुलने पर ही क्षायिक सम्यकत्व प्राप्त होता है सम्यकत्व के 5 दुषण बताये है। पाँचवा है पर पाखंडी की प्रशंसा।

ऐसे की संगति, प्रशंसा नहीं करना जिसमे वह धर्म से भ्रष्ट हो जाये। जैसी संगति वैसा धर्म आचरण होगा। बुरी संगति से धर्म भी गया परिवार भी गया । सब कुछ नष्ट हो जायेगा। कितना बड़ा नुकसान होता है उनकी संगति से दूर रहना। लेन देन का व्यापार भी नहीं करना ।

जिनका जीवन पूर्ण रूप से पाप से भरा हुआ है ऐसा व्यक्तिओं को दान भी नही देना। जिस प्रकार सांप को कितना भी आहार दें दो वह पेट मे जाकर जहर ही बनने वाला है उसी प्रकार साधर्मि को दान दो। पहले हमारे पूर्वज जैन कुल में जन्म लेने वाले को ही आमन्त्रित करते थे तब हमारा धर्म सुरक्षित हुआ। लेकिन आज इसका बिलकुल उल्टा असर है संगति का असर है आजकल लडकियाँ नौकरी करके हर किसी के साथ अच्छा या बुरे दोस्तों के साथ संगति करती है गलत दोस्ती हो जाती है तो गलत असर पड़ता है मिथ्यात्वी बन जाते है जो जैन धर्म से पतित हो गया हो उसकी संगति भी नहीं करना, वो गलत रास्ते पर ही ले जायेगा । जीवन का बुरा हाल हो जायेगा। जैन बन के रह जायेंगे तो ही हम मोक्ष के मार्ग पर चल सकते है। जैन आगे बढ़ेगा तो समाज भी आगे बढ़ेगा और बच्चों में अच्छे संस्कार आयेंगे ।

जैन कुल के बन के रह जायेंगे। आज की पीढ़ी जैनियो को आगे नहीं बढ़ाती है इसलिए आज जैनी पीछे रह गये। इसलिए जैनियो को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखो। जिससे जैन समाज का उदार होगा। इन 5 दूषणो को जान करके सम्यक्त्व की रक्षा करनी चाहिए। जितने जैनियों के आचार नियम है जान करके आचार विचार करो। जिससे सम्यक्त्व दृढ़ और मजबूत बनेगा। जैन धर्म निपुण बनेगा और मजबूती से पालन कर पायेगा। इसलिए कहते है सादा जीवन, सुखी जीवन। सुखी जीवन से धर्म भी सुरक्षित रह सकेगा।

अध्यक्ष अशोक कोठारी ने संचालन करते हुए सूचना दी कि आचार्य सम्राट पुज्य जयमल जी म सा की 316वीं जन्म जयंती नार्थ टाउन में 30 तारीख से 8 तारीख तक नौ दिवसीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाएगी।

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