Sagevaani.com /चेन्नई. बिन्नी के नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में बिराजमान आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी महाराज एवं मुनि श्री महापद्मसागरजी महाराज को 2024 के आगामी चातुर्मास के लिए मयलापुर के श्री वासुपूज्यस्वामी मूर्तिपूजक जैन संघ चातुर्मास की विनती लेकर उपस्थित हुआ. भाव भरे चातुर्मास निवेदन से प्रभावित होकर आचार्यश्री ने रविवार को उपस्थित श्रद्धालुओं के सामने मयलापुर चातुर्मास के लिए स्वीकृति प्रदान की। जैसे ही चतुर्मास की घोषणा हुईं, वैसे ही सर्वत्र उल्लास छा गया। इस मौके पर आचार्य श्री ने कहा कि जैन धर्म पूर्णतः अहिंसा पर आधारित है। जैन धर्म में जीवों के प्रति शून्य हिंसा पर जोर दिया जाता है। जैन धर्म के अनुसार बारिश के मौसम में कई प्रकार के कीड़े, सूक्ष्म जीव जो आंखों से दिखाई नहीं देते वे सर्वाधिक सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में मनुष्य के अधिक चलने-उठने के कारण इन जीवों को नुकसान पहुंच सकता है।
अतः इन जीवों को परेशानी न हो और जैन साधुओं के द्वारा कम से कम हिंसा हो इसलिए चातुर्मास में चार महीने एक ही जगह रहकर धर्म कल्याण के कार्य किए जाते हैं। इस दौरान जैन साधु किसी एक जगह ठहरकर तप, प्रवचन तथा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार को महत्व देते हैं। इन चाह माह को व्रत, भक्ति, तप और साधना का माह माना जाता है। इन चाह माह में संतजन यात्राएं बंद करके आश्रम, मंदिर या अपने मुख्य स्थान पर रहकर ही व्रत और साधना का पालन करते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। इन दिनों में साधना तुरंत ही सिद्ध होती है। उपरोक्त प्रसंग पर मयलापुर जैन संघ से बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।