आचार्य श्री तुलसी निर्माण के पुरोधा थे – मुनि दीप कुमार
तमिलनाडु के तिरुपुर शहर में अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी के 28वे महाप्रयाण दिवस ‘विसर्जन दिवस’ का आयोजन युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि श्री दीपकुमारजी ठाणा-2 सानिध्य में तेरापंथी सभा भवन में में मनाया गया।
मुनिश्री दीपकुमारजी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य श्री तुलसी निर्माण के पुरोधा थे। उन्होंने साहित्य का निर्माण किया और साहित्यकारों का भी निर्माण किया। आचार्य तुलसी विराट पुंज थे। उन्होंने अनेकानेक कार्य किये। उनके अवदान आज वरदान बन रहे है। तेरापंथ के आचार्यों में सबसे अल्पायु में वे आचार्य बने। धर्म संघ में ज्ञान, ध्यान की सुर सुरिता प्रवाहित की। साधु-साध्वियों की शिक्षा पर ध्यान दिया और विशेष परिश्रम लगाया। आचार्य तुलसी के जीवन में संघर्ष बहुत आए, सबका साहस के साथ सामना किया। आचार्य तुलसी क्रांतिकारी महापुरुष थे। उन्होंने नारी जाति के उन्नयन के लिए रूढी उन्मूलन का महान क्रांतिकारी कार्य किया।
मुनिश्री काव्यकुमारजी ने संचालन करते हुए कहा कि आचार्य श्री तुलसी का भाग्य प्रबल था और पुरुषार्थ में उनका गहरा विश्वास था। उन्होंने जो सोचा और कहां, वह करके दिखाया।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष अनिल आंचलिया, तेरापंथ महिला मंडल की बहनों, उपासिका मधुजी कोठारी, संतोष आंचलिया ने अपने विचारों और गीतिका से भावांजलि समर्पित की।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती