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आचार्य भिक्षु सिद्ध साधक थे – साध्वी अणिमाश्री

आचार्य भिक्षु सिद्ध साधक थे – साध्वी अणिमाश्री

13 करोड़ ॐ भिक्षु जप अनुष्ठान का समापन
 

चेन्नई साहुकारपेट :-  साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में भिक्षु भक्तों की गरिमामय उपस्थिति में 219वां भिक्षु चरमोत्सव का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसी अवसर पर साध्वीश्री की प्रेरणा से चल रहे तेरह करोड़ ॐ भिक्षु जप का समापन विशिष्ट विधि से साध्वीश्रीजी द्वारा करवाया गया। श्रीमती मीनादेवी दाँती ने पन्द्रह की तपस्या के द्वारा आचार्य भिक्षु को श्रद्धासुमन समर्पित किए।  

साध्वी अणिमाश्री ने अपने श्रद्धासिक्त उद्गार व्यक्त करते हुए कहा आचार्य भिक्षु के हृदय में यौवन में ही संयम, तप, त्याग के बीज प्रस्फुटित हो गए। स्वयं ने सन्यास के कठोरपथ का वरण कर जन-जन को मर्यादा, अनुशासन व संयम का मार्ग बताया। आचार्य भिक्षु का जीवन सत्य को समर्पित था। उनका संकल्प था – सत्य की खोज। उनका साध्य था – वीतरागता। उसका साधन था – अहंकार व ममकार का विसर्जन। अहंकार व ममकार के विसर्जन की फलश्रुति है- तेरापंथ। तेरापंथ रूपी बीज को 42 वर्ष तक सिंचन देकर वटवृक्ष बना दिया।

तेरापंथ को प्राणवान व मनहारी बनाकर भादुड़ी तेरस को महाप्रयाण कर दिया। आज उस महापुरुष का पुण्य स्मरण हमारे भीतर नई ऊर्जा का संचार कर रहा है।  साध्वीश्री ने कहा आचार्य भिक्षु सिद्ध साधक थे। उनका नाम मात्र का स्मरण सिद्धि के द्वार उद्‌घाटित कर सकता है। ॐ भिक्षु का चामत्कारिक मंत्र विघ्न बाधाओं को दूर करने वाला है। तेरह करोड़ का जप होना अपने आप में बड़ी बात है। लगभग 1146 जपकर्त्ताओं ने तेरह करोड़ का जप कर भिक्षु के प्रति श्रद्धा, निष्ठा व आस्था का परिचय दिया है। सभी जप साधकों के प्रति मंगलकामना, जप में निरन्तरता बनी रहे एवं अध्यात्म की दिशा में गति प्रगति होती रहे। साध्वीश्री ने विशिष्ट विधि पूर्वक जप अनुष्ठान संपन्न करवाते हुए महत्वपूर्ण प्रयोग करवाए। 

साध्वीश्री ने कहा – तपस्विनी बहन श्रीमती मीनादेवी दाँती ने हद हिम्मत कर पखवाड़ा- तप किया है। साता के साथ आगे बढ़ने का प्रयत्न करें। बेटा शुभम व बेटी श्रद्धा एकासन कर तप के पथ पर गतिमान बने हुए हैं। भाई स्वरूप दाँती भी अच्छा उपासक एवं जैन संस्कारक है। सबके सहयोग से तपस्विनी बहन आगे बढ़े, मंगलकामना। साध्वी कर्णिकाश्री ने कहा- आचार्य भिक्षु श्रम के महादेवता थे। उनके जीवन से अंतिम समय तक श्रम का प्रकाश देखा जा सकता है।

डॉ. साध्वी सुधाप्रभा ने कहा जिस साधु में अनिदानता, दृष्टिसंपन्नता एवं योगवाहिता ये तीनों गुण विद्यमान रहते हैं, वह संसार कान्तार से अतिशीघ्र पार पा सकता है। आचार्य भिक्षु में यह तीनों गुण विद्यमान थे। साध्वी समत्वमयशा ने सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वी मैत्रीप्रभा ने मंच संचालन करते हुए कहा- आचार्य भिक्षु साहसी, निडर एवं निर्भीक थे। तभी उनकी धर्मक्रान्ति सफल हुई।   

स्वरूप चन्द दाँती ने अपने भावों की सुन्दर प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा की ओर से तपस्विनी बहन का सम्मान किया गया। तेरापंथ सभा संगठन मंत्री राजेन्द्र भंडारी, तेयुप वरिष्ठ उपाध्यक्ष विकास कोठरी, टीपीएफ से मंगलचन्द डुंगरवाल ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगल संगान किया गया।
           

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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