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आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 179 वां स्मृति दिवस मनाया गया

आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 179 वां स्मृति दिवस मनाया गया

क्रियोद्वारक परम तेजस्वी कीर्ति निष्पृही बाल ब्रह्मचारी आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 179 वां स्मृति दिवस तप-त्याग पूर्वक गुणगान करते हुए आराधना दिवस के रुप मे श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान मे स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई मे मनाया गया | वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने जम्बू चारित्र का वांचन किया |

श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने राजस्थान के कुड़ ग्राम मे लालचन्द्रजी व हीरादेवीजी के यहां जन्मे बालक रत्नचंद्र के नागौर मे बाल्यकाल,दृढ़ वैराग्य,आचार्य गुमानचन्द्रजी म.सा के सानिध्य व चरित्रमय जीवन का परिचय व पद के प्रति निष्पृहता भाव का वर्णन करते हुए कहा कि पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा ने गुरुदेव आचार्य पूज्यश्री गुमानचन्द्रजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात संघ द्वारा योग्यता के आधार पर उन्हें आचार्य बनाने का निर्णय लेने के बावजूद भी पद लेने से मना करते हुए कहा कि स्थविर श्री दुर्गादासजी म.सा दीक्षा व वय से स्थविर हैं उन्हें ही आचार्य पद पर सुशोभित किया जाना उचित हैं,अतः मैं पद स्वीकार नही करुंगा,बिना पद के भी निष्पृहता पूर्वक संघ का संचालन करते हुए वे चौवीस वर्षो तक दुर्गादासजी म.सा को पूज्यश्री कह कर पुकारते तो दुर्गादासमुनिजी म.सा उन्हें पूज्यश्री कह कर पुकारते | चौवीस वर्षो तक यह पद अनियत रुप मे ही रहा | इस आदर्शमय संस्मरण से राम व भरत जिस तरह राज्य लक्ष्मी को एक दूसरे को अर्पण करने वाले इतिहास की स्मृति मन मस्तिष्क पर छा जाती हैं |स्थविर पूज्यश्री दुर्गादासजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात ही आचार्य पद स्वीकार किया | उनका चरित्रमय जीवन प्रेरणास्त्रोत रुप हैं,मात्र चौदह वर्ष की बालवय मे मण्डोर, जोधपुर में दीक्षित हुए,जोधपुर मे 48 वर्ष की वय मे रत्नवंश के आचार्य पद पर आरुढ़ हुए,आचार्य पर्याय बीस वर्षो का रहा,68 की वय मे जोधपुर मे संलेखना संथारा पूर्वक देवलोकगमन हुआ |

धर्म सभा मे रुपराजजी सेठिया,कांतिलालजी तातेड़,इंदरचंदजी कर्णावट महावीरचन्दजी कर्णावट, महावीरचन्दजी छाजेड़, गौतमचन्दजी मुणोत,दीपकजी व योगेशजी श्रीश्रीमाल की सामायिक परिवेश मे उपस्थिति रही | इंदरचंदजी कर्णावट ने संकल्प करवाया | नरेन्द्रजी कांकरिया ने मंगल पाठ किया | उपवास, एकासन,आयम्बिल आदि तपस्याओं के प्रत्याख्यान हुए | तीर्थंकर भगवन्तो,आचार्य भगवन्तों,उपाध्याय भगवन्त, भावी आचार्यश्री,साध्वी प्रमुखा,चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 179 वां स्मृति दिवस सम्पन्न हुआ |

# प्रेषक :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु 24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट, चेन्नई

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