श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्याय भवन में जयगच्छीय आचार्य पूज्यश्री जयमलजी म.सा की जन्मजयन्ति सामायिक दिवस के रुप मे मनाई गयी |
वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने महासती लीलाबाईजी म.सा के प्रवचनांश तेतलीपुत्र का वांचन किया |
श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने राजस्थान के लाम्बिया ग्राम में पिता श्रावक मोहनदासजी व माता श्राविका महिमादेवीजी के यहां जन्मे बालक जयमल के बचपन, वैराग्यमय भावों का उल्लेख करते हुए कहा मेडता में आचार्य भूधर के प्रवचन में सेठ सुदर्शन की जीवनी को सुनकर तुरन्त ब्रह्मचर्य का नियम अंगीकार कर लिया व बाईस वर्ष की वय में दीक्षित हुए,आप अनेक वर्षों तक पंचोले-बेले आदि तपस्याएं करने वाले साधक रत्न थे | आपके व गुरुभाई के बीच कुशलचंद्रजी महाराज में आत्मीय प्रेम था |
अपने पच्चास वर्ष के आचार्य काल मे अनेक आत्माओं को दीक्षित कर सन्त-सती बनाया | अपने गुरु आचार्यश्री भूधरजी महाराज के देवलोकगमन हो जाने के बाद आपने अपने गुरुभाई कुशलचंद्रजी म.सा की तरह ही पच्चास वर्षों तक आड़ा आसन नही किया | बीकानेर व जोधपुर के नरेश दोनों आपसे प्रभावित थे,आपने राजवर्ग में अहिंसा का प्रचार किया व अनेकों को शिकार व मांसाहार के त्याग कराए | 65 वर्षों तक शुद्ध रुप से संयम का पालन करने के पश्चात आपने अपना अन्त समय जानकार एकान्तर तप व दो बेले की तपस्या करने के साथ ही संलेखना संथारा ग्रहण कर समाधिमरण का वरण किया |
योगेशजी श्रीश्रीमाल ने दैनिक जन संकल्प कराया| स्वाध्यायी बन्धुवर, उच्चछबराजजी गांग, चम्पालालजी बोथरा, लीलमचंदजी बागमार समायिक दिवस में उपस्थित थे | रुपराजजी सेठिया ने मांगलिक श्रवण कराई| तीर्थंकरों, महापुरुषों, आचार्य भगवन्तो, उपाध्याय भगवन्तों भावी आचार्यश्री साध्वी प्रमुखा चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ जयमलजी म. सा की जन्मजयन्ति सम्पन्न हुई |