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आचार्य तुलसी के जीवन कौशलों से जीवन को सुवासित करने की दी प्रेरणा

आचार्य तुलसी के जीवन कौशलों से जीवन को सुवासित करने की दी प्रेरणा
विल्लीवक्कम, चेन्नई 17.06.2022 ; तेरापंथ धर्म संघ के नवमाधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी की 26वीं पुण्यतिथि पर “आचार्य तुलसी जीवन दर्शन” विषयक कार्यशाला, मुनि श्री सुधाकरजी के सान्निध्य में, श्री जैन संघ, विल्लीवक्कम की आयोजना में अमृत जैन भवन में आयोजित की गई।
धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री ने बताया कि आचार्य तुलसी के अणुव्रत, जीवन विज्ञान इत्यादि जनोपयोगी अवदानों से जैनाचार्य होते हुए भी वे जनाचार्य बन गए। उनके मानव समाज को उद्घोष थे कि जो स्वयं पर शासन करना सिख जाता है, वह औरों पर भी शासन कर सकता है। आचार्य श्री कहते थे कि जो हमारा विरोध करें, उसका प्रतिकार की अपेक्षा विनोद समझ कर आगे बढ़ते जाएं। सब हमसे सहमत हो यह जरुरी नहीं, अतः मत भेद होते हुए भी मन भेद नहीं रखें। विवेक ही सबसे बड़ा धर्म है। इंसान में इंसानियत जरूरी होनी चाहिये। महापुरुष महान होते है, हम उनके गुणानुवाद के साथ अपने जीवन में भी गुणों का समावेश करें, अपने जीवन आचरण में प्रयोग में ले।
मुनि श्री ने आचार्य तुलसी के जीवन के पांच कौशलों – अध्यात्म कौशल, नैतृत्व कौशल, आचार कौशल, सम्यज्ञ कौशल और शिक्षा कौशल का उल्लेख करते हुए प्रेरणा दी की हम सम्मान में फुले नहीं और अपमान में विचलित नहीं हो। आचार्य श्री के जीवन की घटनाओं को बताते हुए कहा कि जो नैतृत्वकर्ता हो वह जहां अनुशासन की बात हो तो वे वज्र के समान कठोर हो और प्रमोद भाव में फूल से भी कोमल हो। स्वार्थ नीति, राजनीति से दूर रह धर्म नीति का आचरण करें। विकास के चक्कर में आचार से कभी समझोता नहीं करें। आचार्य तुलसी सम्यज्ञ थे। समयानुसार संघ के अनेकों विकास के द्वार उद्घाटित कियें। साध्वी समाज, नारी समाज की शिक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें, उन्हें शिक्षित किया और आगे बढ़ने के लिए खुला आकाश दिया।
  मुनि श्री ने आचार्य श्री के प्रति श्रद्धाप्रणत होते हुए कहा कि हम आपके कृतज्ञ है कि आपने अनेकों जनोपयोगी, समाजोपयोगी, गणपयोगी अवदानों के साथ हमें दो-दो आचार्य दियें।
  मुनिश्री नरेश कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी इतिहास पुरुष बन गए, उन्होंने अपना पूरा जीवन गण की सेवा में समर्पित किया, उसका भण्डार भरा। हम उनके गुणों को जीवन में आत्मसात करें। वास्तव में धार्मिक वहीं है जो धर्म स्थानों के साथ अपने कर्म स्थान, व्यवहार स्थान में भी नैतिकता, प्रमाणिकता, ईमानदारी से ओत:प्रोत हो।
  इस अवसर पर तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष एमजी बोहरा, तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी, अणुव्रत समिति सहमंत्री स्वरूप चन्द दाँती, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्यारेलाल पितलिया, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट, मादावरम् के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम साउथ जोन के अध्यक्ष दिनेश धोखा, महिला मण्डल से प्रीति बोहरा ने भी आचार्य तुलसी को अपने व्यक्तव्य, गीतिकाओं के माध्यम से भावांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का कुशल संचालन रेख धोखा ने किया।
            स्वरुप चन्द दाँती
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई

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