आज मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी दिनांक 21 नवम्बर 2022 सोमवार को श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ- तमिलनाडु के तत्वावधान में रत्नवंश के पंचम आचार्यश्री विनयचन्द्रजी म.सा की 107 वीं पुण्यतिथि जप-तप-त्याग पूर्वक स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट,चेन्नई में मनाई गई |
वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर श्री महावीरचंदजी तातेड़ ने आचार्यश्री विनयचंद्रजी म.सा के जन्म-माता- पिता के परिचय व दीक्षा व चरित्रमय जीवन पर प्रकाश करते हुए कहा कि उन्हें श्रुत केवली के नाम से जाना जाता हैं | श्रावक संघ,तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने आचार्यश्री के गुणगान रुप में धर्मसभा में कहा कि विनयचंद्र ने बाल्यकाल में माता-पिता का साया सिर पर से उठ जाने के बाद बड़े होने के नाते भाई- बहनों के परिवार का कर्तव्य निभाया | पाली में आचार्य श्री कजोडीमलजी म.सा के दर्शन के पश्चात वैराग्य भाव-गुरु सन्निधि व अपने अनुज भाई श्री कस्तूरचंदजी के संग अजमेर में पन्द्रह वय में जैन भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई |
उनके दीक्षित होने के पश्चात साधनामय जीवन, आगमज्ञाता, वात्सल्यता, उनकी शिष्य परम्परा की विस्तृत जानकारी देते हुए पंजाबी परम्परा के अमरचंद्रजी म.सा के श्री मयारामजी म.सा,स्वामी श्री कनीरामजी म.सा, धर्मदासजी परम्परा के पण्डित रत्न श्री माधवमुनिजी म.सा,हुक्मीचंद्रजी म.सा के तत्कालीन आचार्यश्री श्रीलालजी म.सा आदि परम्पराओं के संग मधुर व्यवहार संबंधों व संयुक्त प्रवचनों व 36 चातुर्मासों की विशेष जानकारी देते हुए गुणगान किये | जब वे 40 वर्ष के थे,उन्हें अजमेर में रत्नवंश के पंचम आचार्य के रुप में घोषित किया गया | उनका 60 वय का संयममय जीवन रहा, 75 की वय में जयपुर में समाधिपूर्वक देवलोकगमन हुआ | सुश्रावक श्री रुपराजजी सेठिया ने तीन मनोरथ चिंतन,जैन संकल्प कराया | सुश्रावक श्री प्रकाशचंदजी ओस्तवाल ने मंगल पाठ सुनाया | व्रत-नियम-प्रत्याख्यान के पश्चात श्रमण भगवान महावीरस्वामी,आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त,चरित्र आत्माओं की जयजयकार के संग पुण्यतिथि गुणानुवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ |
प्रेषक : श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु 24/25-बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट चेन्नई तमिलनाडु