जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने भी लिया आचार्यश्री का आशीर्वाद
बेंगलुरु। आचार्यश्री तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र में बने ‘महाश्रमण समवसरण’ में उपस्थित श्रद्धालुओं को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा कि मनुष्य के भीतर अनेक वृत्तियां होती हैं। यह पुरुष अनेक चित्तों अर्थात् भावों वाला होता है।
आदमी कभी आक्रोश में दिखाई देता है, कभी अहंकार का नाग उसके भीतर फुफकारने लगता है तो कभी माया की वृत्ति उभर जाती है। कभी लोभ, लालसा का वेग भी दिखाई देने लगता है। वहीं कई बार आदमी बड़ा क्षमाशील दिखाई देने लगता है। उन्होंने कहा कि आदमी को छोटी-छोटी चीजों में नहीं उलझना चाहिए, कई बार छोटी चीजों में उलझने के कारण आदमी अपना कुछ अच्छा खो देता है।
आचार्यश्री ने स्वरचित ‘महात्मा महाप्रज्ञ’ ग्रन्थ के माध्यम से लोगों को आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के जीवन के द्वितीय दशक घटना प्रसंगों का वर्णन किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे जयपुर के सांसद रामचंद्र बोहरा ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जज एन.के. जैन ने भी आचार्यश्री के दर्शन करने, आचार्यश्री के मंगल प्रवचन श्रवण के पश्चात् अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने दोनों महानुभावों को पावन पाथेय प्रदान किया। इस दौरान नरेश मेहता ने आचार्यश्री के समक्ष अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए और आचार्यश्री से पावन आशीष प्राप्त किया।
विकास नाहर की धर्मपत्नी श्रीमती वनिता नाहर ने आचार्यश्री से 29 की तपस्या (मासखमण) का प्रत्याख्यान किया। साथ ही अनेकानेक तपस्वियों ने आचार्यश्री से अपनी-अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान कर आत्म कल्याण की दिशा में आगे बढ़े।