श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ-तमिलनाडु के तत्वावधान में रत्नवंश के प्रथम पट्टधर आचार्यश्री गुमानचन्द्रजी म.सा की 221 वीं पुण्यतिथि जप-तप-त्याग पूर्वक मनाई गई।
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ- तमिलनाडु के तत्वावधान में आचार्यश्री गुमानचन्द्रजी म.सा की 221 वीं पुण्यतिथि जप-तप-त्याग पूर्वक स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में मनाई गई | स्वाध्यायी बन्धुवर श्री गौतमचंदजी मुणोत ने आचार्यश्री के जन्म-वैराग्य भाव-गुरु सन्निधि- दीक्षा-शिष्य परम्परा का विस्तृत उल्लेख करते हुए गुणगान किये | स्वाध्यायी श्री महावीरचंदजी तातेड़ ने जैन धर्म का मौलिक इतिहास के श्रुतधर खण्ड का वांचन किया |
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु से आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि रत्नवंश के प्रथम पट्टधर के रुप में आचार्यश्री गुमानचन्द्रजी म.सा ने अपने शिष्य रत्न श्री रत्नचंद्रजी म.सा के सहयोग से राजस्थान की पावन धरा भोपालगढ़ में तेरह सन्तों के संग इक्कीस बोलों की मर्यादा रखते हुए क्रियोद्वार किया |
पुण्यतिथि गुणगान दिवस के अवसर पर श्री अम्बालालजी कर्णावट, महावीरचंदजी तातेड़, कांतिलालजी तातेड़, लीलमचन्दजी बागमार श्रीमती पुष्पलताजी गादिया सामायिक परिवेश में उपस्थित थे | तीन मनोरथ चिंतन,जैन संकल्प व्रत-नियम- प्रत्याख्यान के पश्चात श्रमण भगवान महावीरस्वामी, आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त, चरित्र आत्माओं की जयजयकार के संग पुण्यतिथि गुणानुवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ |
प्रेषक : आर नरेन्द्र कांकरिया,श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, ” स्वाध्याय भवन ” 24/25-बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट चेन्नई तमिलनाडु.