चेन्नई. क्रोमपेट जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि ने कहा कि मनुष्य चाहे तो तप और जप से अपने जीवन को पवित्र बना सकता है। आज अगर पवित्र होना है तो तप करना चाहिए और जल्द ही पवित्र होना है तो जप करना चाहिए। इसकी आराधना कर जीवन को ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।
उन्होंने कहा मनुष्य को एक दिन का उपवास कर भूखे प्राणी को भी खाना खिलाने का भाव रखना चाहिए। धर्म और पुण्य के कार्य करने से कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
सागरमुनि ने कहा मनुष्य को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करने की जरूरत है। शुरुआत में तो इच्छा राई के दाने जैसी छोटी होती है लेकिन धीरे धीरे बढ़ते हुए आकाश तक चली जाती है। परमात्मा फरमाते है कि अगर मनुष्य अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना सीख ले तो उसके जीवन से क्रोध, मोह और माया भी दूर होता चला जाएगा।
ऐसा नहीं किया तो संसार रूपी इस जीवन में समय व्यर्थ करने के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा। जिस प्रकार से किसी चीज की अधिकता होने पर तबियत बिगड़ जाती है, उसी तरह से क्रोध, मान, माया और लोभ आने से आत्मा में दोष आ जाती है। उन्होंने कहा ऐसे मार्गो पर जाने वालों के लिए नरक की दुर्गति बनने लगती है। जीवन को सुखी बनाना है तो क्रोध से दूर रहने की जरूरत है।
मनुष्य प्रवचन में आकर लाख बार सामायिक कर ले लेकिन अगर क्रोध से दूर हुआ तो सब व्यर्थ है। लोग सामायिक तो करते है लेकिन घर जाने के बाद क्रोध करना शुरू कर देते है जिससे उनका सामायिक का लाभ नष्ट हो जाता है।
माया यातना का मार्ग होता है। जो माया करते है वे दुर्गति की ओर बढ़ते चले जाते हैं। शुक्रवार को गुरुभगवंत विहार कर ताम्बरम पहुंचेंगे और वहीं प्रवचन होगा।