चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में साध्वी सिंधुप्रभा ने कहा हमारी सारी समस्याओं का समाधान आगम वाणी में हैं । आगम वाणी के प्रति अहोभाव श्रद्धा रखनी चाहिए। आगम समझाता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलता कैसे रखें।
जिस तरह व्यापारी सीजन में दिन रात एक कर देता हैं और मुनाफा करने के लक्ष्य से खाना पीना भी भूल जाता है इसी तरह आज प्रारम्भ हुए पर्व के पवित्र आठ दिनों में संसार की मोह माया को भूल कर साधना आराधना करते हुए आत्मा को पवित्र निर्मल बनाना है। हमें हमारी आत्मा पर लगे हुए कर्मो को चूर चूर करना है। अंतगड़ दशांक सूत्र में मोक्ष को प्राप्त करने वाली 90 आत्माओं का वर्णन है।
साध्वी मुदितप्रभा ने कहा आज के पावन दिवस पर ज्ञानदाताओं के उपकार को याद करें, चाहे वे हमारे शिक्षक हो, जिन्होंने अक्षर ज्ञान, बोलने, चलने, व्यवसाय का आदि ज्ञान दिया हो उन सभी के प्रति उपकार मानें व कृतज्ञता भाव व्यक्त करें ।
ज्ञानदाता का नाम लिखने से उनके उपकार मानने से, याद करने से अहोभाव प्रकट करने से हमारे ज्ञानावरणीय कर्मो की निर्जरा होती हैं । वर्षा ने अंतगढ़दशांक सूत्र का वाचन किया। साध्वी तितिक्षा ने कहा कि जिनशासन जयवंत है।
हम लौकिक पर्वो की तैयारी अनेक दिनों पूर्व शुरू कर देते हैं, पर्व के आठ दिनों की हमारी क्या तैयारी है। इन दिनों में जप तप में पुरुषार्थ करते हुए अपने कर्मो की निर्जरा करनी है।