चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि आगम को श्रवण कर खुद को प्रतिबद्ध बनाना है। व्यस्त समय से जीनवाणी सुनने का मौका निकालते हैं तो खुद की आत्मा को धन्यवाद भी देना चाहिए।
जिनके भी सहयोग से आप सभा मे पहुचते हैं उनको भी धन्यवाद देना चाहिए। संसार के कार्यो में तो लगाने बाले बहुत है लेकिन सभा मे बुला कर आपके जीवन को बदलने बाले बहुत ही कम है इसलिए उनका तो आत्मा से आभार जताना चाहिए जो सभा तक आपको लाते हैं।
जैसे बचपम में किया हुआ पढ़ाई आज भी याद होता है वैसे ही सभा मे सीखी हुई बात हमेसा याद रहेगी। लेकिन उसके लिए आत्मा को खोल कर श्रवन करने की जरूरत है। साध्वी सुविधि ने कहा कि परमात्मा की आगम में शत प्रतिसत सच है उसको झूठा साबित नहीं किया जा सकता है।
एक एक आगम की अगर सही से वाचना की जाय तो साल साल निकल सकता है। हम तो सिर्फ आगम के सूत्रों का श्रवण करते है तो उसको सही से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हम सभी छेद सूत्र के माध्यम से दसा छेद सूत्र का वर्णन कर रहे है। इसमें दस अध्यन हैं जो जीवन के लिए बहुत उपयुक्त है। इसके माध्यम से मनुष्य अपने जीवन को पापों से बचा सकता है।
किसी इंद्रियों की आदि नही होकर स्वयं के आदि होने वाला मनुष्य असमाधि को प्राप्त करता है। जिन दोषों के माध्यम से मनुष्य की आत्मा पतन की ओर जाती है उससे भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिसकी रात अच्छी जाती है उनका सुबह सुंदर होता हैं। रात को अच्छा करने के लिए संध्या को अच्छा करने की जरूरत होती है।
परमात्मा ने इस सूत्र में दोष के 21 कारण बताये है। जिसमे रात्रि भोजन भी शामिल है। जब मनुष्य रात्रि भोजन का त्याग करेगा तो निश्चय ही सुबह अच्छी होगी। यह सूत्रों के अध्ययन के बाद ही पता चल पाएगा। इसलिए सूत्रों का अध्यन आत्मा से करनी चाहिए।