चेन्नई. थाउजेंड लाइट जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा भगवान महावीर की वाणी वर्तमान में 32 आगमों के रूप में उपलब्ध मिलती है। जो व्यक्ति आगम को पढ़ लेता है उसके सारे गम मिट जाते हैं।
आगम का हर एक शब्द और हर सूत्र अपने आप में एक मंत्र के समान है। आगम सभी जीवों के लिए पथ प्रदर्शक है। आगमों में उपदेश, नीति, शिक्षा, तत्वज्ञान जैसे सभी विषयों का समावेश है।
जिस प्रकार सागर में डुबकी लगाने पर मोती मिलते हैं, उसी प्रकार आगमों में गहराई से उतरने पर अनेक रहस्य प्राप्त होते हैं। भगवान महावीर के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस युग में थे। इस पर चिंतन मनन करने की जरूरत है।
व्यक्ति को चिंता करने की बदले चिंतन करना चाहिए। चिंता चिता की ओर ले जाती है, चिंतन से सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। आगमों में सुखी जीवन जीने की कला भी उपलब्ध है।
उसका अनुसरण करते हुए आचरण में उतारने की जरूरत है। जो इस भव में सुखी होगा वही परभव में भी सुखी बन सकता है। स्वर्ग के सपने देखने से ही कुछ नहीं होता। इसी मनुष्य जीवन को स्वर्ग भी बनाया जा सकता है।
व्यक्ति को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। दुख मजबूर बनने के लिए नहीं, मजबूत बनाने के लिए हैं। जो मजबूरी को मजबूती में बदल देता है वह सुखी बन जाता है।