चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि आगम की हर एक बात सच्ची है और जीवन को बदनले की ताकत रखती है। लेकिन शरीर के आसक्ति और सुख की वजह से मनुष्य उसे नहीं मान रहा है। इस पर यकीन कर कार्य करने वाले मनुष्य मोक्ष गति में जा सकते हैं। लेकिन मनुष्य अपने गलत कर्मो की वजह से नर्क में पहुचता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने कहा कि परमात्मा के गुणों का वर्णन आगमो में किया गया है। अगर इस गुण को अपनाया जाए तो निश्चय ही जीवन बदल जायेगा। साध्वी सुविधि ने चंद्र और सूरज पद्दति सूत्र के माध्यम से कहा कि यहां से जो चांद सूरज नजर आते है उनको मनुष्य देवता मानता है।
लेकिन वह देव नहीं बल्कि देव के विमान होते है। ज्ञानियों ने सूत्र में बतलाया है की ये चांद और सूरज का आकार गोला नहीं है। लेकिन वर्तमान में मनुष्य सूत्रों को नहीं बल्कि साइंस को मान रहा है। साइंस को मानना गलत नहीं है बल्कि उन्हें मानना चाहिए। लेकिन उसको मानने के साथ परमात्मा के आगम के सूत्रों को गलत नहीं मानना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सूर्य चांद बिना रुके अपनी परिक्रमा जारी रख दुनिया को रोशन करते है, लेकिन मनुष्य एक काम मे अगर थोड़ा सफल हो जाता है तो आराम करने लगता है। मनुष्य को सूरज और चांद से सीखना चाहिए। जब तक मनुष्य आराम करेगा उसके जीवन मे साफलता गठित नहीं होगी।
सफल होने के लिए अपनी गति को सूरज के जैसी बनानी चाहिए। आगम को अगर मनुष्य मानना बंद करेगा तो उसके जीवन मे भटकाव निश्चय है। साइंस कहता है कि चांद और सूरज पर पहुचा जा सकता है लेकिन परमात्मा के आगम में कहा गया है कि चांद सूरज पर जाना संभव नहीं है।
जैसे सूरज की गर्मी नीचे तक आती है और लोग सहन नहीं कर पाते तो सोचो वहां कैसे पहुचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब तक गुण और अवगुण को नहीं जानेगा तब तक जीवन नहीं बदल सकता है। जीवन को बदलना है तो आगमो में लिखे सूत्रों को समझ कर उस मार्ग पर चलना चाहिए।