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अहिंसा यात्रा के साथ देश के सत्रहवें राज्य में महातपस्वी महाश्रमण का मंगल प्रवेश

अहिंसा यात्रा के साथ देश के सत्रहवें राज्य में महातपस्वी महाश्रमण का मंगल प्रवेश

सुन्दरपालया, कोलार (कर्नाटक):  दिन बुधवार और समय प्रातः लगभग 6.40 से 6.50 के बीच। स्थान आंध्रप्रदेश का सुदूर पहाड़ी जिला चित्तूर का वी.कोटा गांव। इस पहाड़ी क्षेत्र का नजारा बदला-बदला सा दिखाई दे रहा था। कारण था मानवता के मसीहा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के देदीप्यमान महासूर्य, एकादशमाधिशास्ता, कीर्तिधर आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ एक और नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहे थे। आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा के साथ भारत देश के सत्रहवें राज्य कर्नाटक में प्रवेश करने वाले थे।

अब तक सोलह राज्यों सहित नेपाल और भूटान की ऐतिहासिक, कीर्तिमानी, और प्रभावक यात्रा सुसम्पन्न कर कर्नाटक में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की नई ज्योति जलाने वाले थे। ऐसे समय में वर्षों से अपने आराध्य की प्रतीक्षा में पलक-पांवड़े बिछाए कर्नाटकवासियों की चाह पूरी होने वाली थी। 

प्रातः आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा का कुशल नेतृत्व करते हुए सकल साधु-साध्वी समाज के साथ वी.कोटा से प्रस्थान किया। आचार्यश्री के प्रस्थान से पूर्व ही सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे उत्साही श्रद्धालु अपने आराध्य के साथ चल पड़े। एक किलोमीटर बाद ही आचार्यश्री आंध्रप्रदेश और कर्नाटक राज्य की सीमा के निकट पधार गए।

निर्धारित समय में कुछ समय बाकी था तो आचार्यश्री आंध्रप्रदेश की सीमा में ही ठहर गए। कर्नाटक की सीमा में बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के साथ कर्नाटक के विभिन्न श्रद्धालु क्षेत्रों के हजारों श्रद्धालु नर-नारी पंक्तिबद्ध होकर अपने आराध्य के अपने राज्य में मंगल प्रवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे-जैसे शुभ मुहूर्त निकट आ रहा था लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा था।

पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मंगल ध्वनि के साथ बीच गूंजते जयकारे से पूरा वातावरण महाश्रमणमय बना हुआ था। लगभग 6.51 बजे आचार्यश्री ने कर्नाटक की धरती पर अपने ज्योतिचरण टिकाए तो धरती का क्या आसमान तक श्रद्धालुओं के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। इसके साथ ही आचार्यश्री ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ देश के सत्रहवें राज्य में मंगल प्रवेश कर एक और नए कीर्तिमान की स्थापना कर दी।

वैसे आचार्यश्री का किसी भी रूप में कर्नाटक राज्य की सीमा में प्रथम प्रवेश हो रहा था। हजारों नेत्रों यह दृश्य अपने आंखों में संजोया। आचार्यश्री सभी पर आशीष वृष्टि करते हुए मंगलपाठ का उच्चारण किया और बेंगलुरु की धरती पर प्रथम विहार करते हुए लगभग नौ किलोमीटर की दूरी तय कर्नाटक के कोलार जिले के सुन्दरपालया हाईस्कूल के प्रांगण में पधारे। 

आज के इस भव्य कार्यक्रम का शुभारम्भ तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी के उद्बोधन से हुआ। उसके उपरान्त मंचासीन हुए आचार्यश्री ने कर्नाटक की धरती से अपनी प्रथम पावन संबोध प्रदान करते हुए श्रद्धालुओं को अपनी भाषा को शुद्ध रखने और मृषावाद से बचने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी चार कारणों से झूठ बोलता है।

भय के कारण, गुस्से में, लोभ में और हंसी-मजाक में आदमी झूठ बोलता है। आदमी को इससे बचने का प्रयास करना चाहिए और अपने जीवन को अच्छी दिशा में ले जाते का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने कर्नाटक प्रवेश के संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन उद्बोधन प्रदान करते हुए कर्नाटकवासियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

इसके पश्चात मुख्यनियोजिकाजी ने मंगल प्रवेश के अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त किए। दक्षिण की साध्वीवृंद द्वारा स्वागत गीत का संगान किया। बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर, महामंत्री श्री दीपचंद नाहर, मंत्री श्री ललित आच्छा, स्वागताध्यक्ष श्री नरपत सिंह चोरड़िया, अभातेयुप के अध्यक्ष श्री विमल कटारिया, श्री प्रवीण धारिवाल, अभातेमम कार्यसमिति सदस्या श्रीमती शशिकला नाहर, महासभा के उपाध्यक्ष श्री कन्हैयालाल गिड़िया, श्री हीरालाल मालू, तेरापंथी सभा के मंत्री श्री प्रकाशचंद लोढ़ा, श्री अशोक सुराणा, चिकमंगलूर के श्री मदनजी, श्री संजय धारीवाल आदि ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। बेंगलुरु और मैसूर की ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं, केजीएफ महिला मंडल आदि गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवन्दना की और पावन आशीष प्राप्त की। 

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