चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा परमात्मा ने अहिंसा परमोधर्म का मार्ग बतलाया है। उस मार्ग पर चल कर हिंसा से दूर हो जाना चाहिए। परमात्मा के बताए मार्गो का मनुष्य कितना पालन कर रहा है ये विचार करना बहुत ही जरूरी है।
हिंसा की वजह से संसार में मनुष्य परिभ्रमण, चक्कर और दुखों को झेल रहा है। जब तक हिंसा का त्याग नहीं होगा अहिंसा परमोधर्म का पालन नहीं हो सकता। जीवन में आगे निकलने के लिए दूसरों को दुखी नहीं किया जा सकता। दूसरों को दुखी करके आगे निकलने वाले कभी सुखी नहीं हो सकते। प्रत्याख्यान कर मनुष्य अपने पाप मार्ग को बंद कर लेता है।
पाप अगर बंद हो जाएंगे तो कल्याण हो जाएगा। जीवन में व्रत और नियम धारण कर पापों को रोका जा सकता है। मिथायत्व के कारण मनुष्य पाप के कर्मो का बन्ध करता है। मिथायत्व, कषाय और अशुभ वस्तुओं का सदा के लिए त्याग कर जीवन को सफल बना लेना चाहिए।
आज के दिन हिंसा होती है, लोग अपनी खुशी के लिए हिंसा करते है। लेकिन याद रहे कि खुद की खुशी के लिए दूसरों को तकलीफ पहुंचाना जीवन को नरक में ले जाने का कार्य करता है। ऐसे मार्गो से मानव को बचना चाहिए। समय रहते अगर नहीं चेते तो माफी मांगने के बाद भी कर्मो का भुगतान करना पड़ेगा।
आज जैसा दे रहे हैं वैसा ही काल मिलेगा। इसलिए सामने वाले को वही दो जो खुद को पसंद हो। जितना जल्दी मानव हिंसा से दूर होगा उसका जीवन सफल हो जाएगा। जीवन मे सफल होना है तो दूसरों के दर्द को समझे।