बेंगलूरु। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में चातुर्मासार्थ विराजित अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चंद्रिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने सोमवार को कहा कि व्यक्ति का मान अर्थात् अहंकार उसके जीवन के विनय-सद्गुणों का नाश कर देता है।
उन्होंने कहा कि अहंकार करने वाला आज तक इस धरा पर कोई नहीं रहा है। मृत्यु को जीवन का बोध कराने वाली बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि अहंकार का भार सबसे बड़ा भार तथा समस्या है, जबकि समर्पण ही इसका समाधान है। जीवन में विनम्रता व समर्पण के भाव लाने की सीख दी, साध्वीश्री ने कहा कि तभी व्यक्ति का जीवन सार्थक एवं कल्याणमयी होगा।
चातुर्मासिक पर्व के 56वें दिन धर्मसभा में डाॅ.कुमुदलताजी ने तपस्वीरत्न संतश्री वेणीचंदजी, साध्वीश्री चरमप्रज्ञाजी के पुण्यतिथि पर तथा श्रमण संघीय महामंत्री श्री मोहनमुनिजी म.सा. के गुणानुवाद भी किए। उन्होंने संतों की जीवन व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी तपस्याओं की अनुमोदना करते हुए विस्तृत व्याख्या की। साध्वीश्री ने कहा कि त्याग, वैराग्य और समतामयी जीवन के साथ संत महापुरुषों ने अपने संयम जीवन को उज्ज्वल बनाया। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने भजन प्रस्तुत किए।
डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने जीवन से अहंकार को मिटाने का प्रेरणादायी संदेश सुनाया। राजकीर्तिजी ने एक घटनाक्रम प्रसंग के माध्यम से कहा कि स्वयं को बड़ा व दूसरों को छोटा नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी सौंदर्य व पद का गुमान नहीं करना चाहिए। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि साध्वीवृंद के सामूहिक मंगलाचरण से शुरु हुई धर्मसभा में अनेक प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को पच्चखान करवाए गए।
उन्होंने बताया के राष्ट्रीय दिवाकर समिति के महेंद्र बोथरा ने साध्वीवृंद के समक्ष रतलाम में चातुर्मास हेतु विनती करते हुए अपने भाव व्यक्त किए। रांका ने बताया कि धर्मसभा में मुंबई, कोटा, कालहस्ती सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आगंतुक अतिथियांे व अर्द्धमासखमण के तपस्वीवृंदत्रय जयश्री रांका, गौतम कोठारी व महावीर बाफना का सम्मान भी किया गया।
उन्होंने बताया कि दोपहर के सत्र में साध्वीजी की निश्रा में संगीत व स्वाध्याय तथा संध्या में प्रतिक्रमण की कक्षाएं सुचारु रुप से गतिमान है। रांका ने बताया कि जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः विकास लूंकड़, पूजा खींवसरा व सुनीता लूंकड़ को पुरस्कृत किया गया। रोशन बाफना ने संचालन किया। सभी का स्वागत समिति के किरण मरलेचा ने किया जबकि आभार युवा समिति के उगम कांटेड ने जताया।