चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने मंगलवार को कहा कि मनुष्य संसार मे रह कर हर सुख चाहता है पर क्रिया दुख पाने वाली करता है। जिस प्रकार से दिल्ली जाने वाला ट्रैन चेन्नई का पकड़ ले तो विफलता मिलती है।
दिल्ली जाने के लिए ट्रेन भी वहीं की होनी चाहिए। ठीक उसी प्रकार सुख चाहने वाला दुखों का कार्य कर दुःख पा रहा है। जबकि सुख के लिए क्रिया भी सुखों बाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने मान की वजह से ठोकरे खा रहा है।
लोग अहंकार में आकर ज्ञान से दूर होते चले जा रहे हैं। जहां अभिमान और अहंकार होगा वहाँ पर ज्ञान का होना संभव नही है। मनुष्य चाहे तो अपने अहंकार को त्याग कर संसार मे रहते सुख की प्राप्ति कर सकता है, पर अहंकार ने लोगो को अंधा कर दिया है। ज्ञानी मनुष्य में कभी भी अभिमान और अहंकार की भावना नही हो सकती है।
यह भावना तो अज्ञानियों में ही होती है। अहंकार आने के बाद थोड़ा बहुत बचा हुआ ज्ञान भी चला जाता है और साधना भी प्राप्त नही होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य कितना भी महान हो पर अहंकार की बीज आ जाए तो वह ऊंचाई पर नही जा सकता है। ऊंचाई पर लोग विनम्र भाव से ही जाते है। विनम्रता से जीवन मे कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
जहाँ बंजर होता है वहां फसल नही उगता, वैसे ही अहंकार में धर्म का बीज अंकुरित नही हो सकता है। अहंकार को दूर कर झुकने वाले जीवन मे आगे जाएंगे। जब तक मनुष्य नम्रता से साधना नही करेगा उसकी साधना सिद्ध नही हो सकती है। जीवन मे आगे वही जाते है जो इन कषायों से बच जाते है। संचालक मंत्री देवीचंद बरलोठा ने किया