चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन स्थानक में विराजित साध्वी नेहाश्री ने कहा अहंकार छोडक़र लोगों को आज्ञाकारी बनना चाहिए। लोगों को अशक्ति छोडक़र अरिहंत बनना चाहिए। सहनशील बनने से सिद्धि मिलती है।
सुखशील बनने से संसार मिलेगा। अंदर का आश्रव नहीं रहा तो बाहर के संसार का आश्रव भी समाप्त हो जाएगा। बाहर का आश्रव अर्थदंड है और भीतर का अनर्थदंड।
व्यक्ति चार प्रकार के आश्रव पालता है-दंडनीति, कपट नीति, कूटनीति और अधिकार नीति। दंड नीति में छोटी-छोटी बातों में आती है, जिसमें मन, वचन, काया शाामिल हैं। कपट नीति को कभी नहीं अपनाना चाहिए। कपट तिर्यंच गति मेें ले जाता है।
हम तो तीर्थ हैं। कूटनीति दो जनों के बीच दूरियां पैदा करती है। हम पुण्यशाली है कि जिनशासन में एक तीर्थ बने हैं। हमें आगम पढऩा चाहिए। नौ तत्वों में पाप, आश्रव, बंद छोडऩे लायक हैं। पुण्य, संवाद, निर्जरा और मोक्ष ये आदरणीय लायक हैं।
जीव और अजीव जानने लायक हंै। जिनशासन के लिए जहां आवश्यकता है वहां सेवा, संपत्ति और संतति का दान करें। साध्वी ने कहा लोगों को धर्म दलाली कर दीप से दीप जलाना चाहिए।