नीमचौक स्थानक पर गुरुदेव अरुणमुनि मसा ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति के चारों और सुख के साधन बिखरे हों, जब मनुष्य के भीतर त्याग की भावना बहुत मुश्किल से आती है। कुछ विरले हलुकर्मी ही संसार में रहते हुए भी संसार से विरक्त रहने का साहस करते हैं।
गौतम स्वामी ने प्रभु महावीर से प्रश्न पूछा की व्यक्ति अपने जीवन में अनेक कष्टों को प्राप्त करता है इसका क्या कारण है। प्रभु ने कहा कि जिस व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना रहती है वह हमेशा परेशानियों और दुःखों से घिरा रहता है।
गुरुदेव ने कहा कि अहंकारी व्यक्ति इस संसार में कभी यश प्राप्त नहीं कर सकता और ना ही सुखी रह सकता है।