चेन्नई. तप के प्रभाव से अस्थिर भी स्थिर हो जाता है। वक्र भी सरल बन जाता है और दुर्लभ कार्य भी सुलभ हो जाता है।
ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने नवपद अराधना के अंतिम पद में तप के महत्व का बताते हुए कहा कि तप एक ऐसी लिफ्ट है जो कर्मो को शिफ्ट करके मोक्ष का गिफ्ट प्रदान करता है।
पेट में अजीर्ण होने से लंघन जरुरी है। वैसे ही कर्म खपाने के लिए तप जरुरी है। करोड़ों भवों के संचित कर्म को तप से खत्म किया जा सकता है। आज के बच्चों को विलासी वातवरण से दूर रखना चाहते हो तो उन्हें समय दीजिए। संस्कार दीजिए और विश्वास दीजिए।
उनसे आत्मयीता पूर्ण संबंध बनाने के लिए अहंकार से बचिए। गलत अनुमान के दलाल न बने। इस अवसर पर बेंगलूरु निवासी गौतम शंकर और पारसमल भलगट की ओर से सभी तपस्वियों का सम्मान किया गया।