चेन्नई. राजेन्द्र भवन में विराजित संयमरत्न विजय ने मंगलवार को सिद्धचक्र नवपद ओली आराधना के प्रथम दिन अरिहंत परमात्मा के 12 गुणों का आध्यात्मिक वर्णन किया।
उन्होंने कहा अशोक वृक्ष मनुष्य को शोकमुक्त रहने की प्रेरणा देता है। इससे तन-मन व जीवन में शोक का आगमन नहीं होता। पुष्प वृष्टि मनुष्य को सदा हंसते रहने की प्रेरणा देती हैै। दिव्य ध्वनि मनुष्य को अपनी वाणी को मधुर बनाने का संकेत देता है। स्वर्ण सिंहासन मनुष्य को स्थिर रहने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने कहा कि जिस मनुष्य की काया एक स्थान पर स्थिर हो जाती है वह जहां बैठता है उसका आसन ही सिंहासन बन जाता है। उन्होंने कहा सिद्धचक्र में प्रवेश पाने वालों का भवचक्र शीघ्र समाप्त हो जाता है। यह चक्र मनुष्य को संसार चक्र से मुक्त करने का कार्य करता है।