अशास्वत से हमे शास्वत के और जाना है! स्व के कल्याण सम हमे दुसरो के कल्याण का हमे भाव रखना है! साध्वी डॉ. राज श्री जी म.सा. आकुर्डी निगडी प्राधिकरण श्री संघ में ऐतिहासिक चातुर्मास आगे समापन के तरफ़ बढ़ रहा है! संतोका समागम आवश्यक है! श्रध्दालु श्रावक वो है ज्यो प्रभु महावीर के मार्ग पर चलें और गौरवशाली श्रावक बने यह विचार डॉ. राज श्री जी म. सा. ने रखे! अपने उद् भोदन मे साध्वी जिना ज्ञा श्री जी ने कहा विचारोकी निगराणी रखो!
मन में ग्लानी ना हो, भाव शुध्द हो, विनयपुर्वक हो! वंदन नमन के भाव शुध्द हो! हत्या ना करो, आत्महत्या ना करो! आजके धर्मसभामे भाईंदर से भगवती जी सियाल, घाटकोपर से आश्विन जी लोढा, सुरत से विमल जी बोलियाँ सहपरिवार पधारे थे! संघाँध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने उपस्थित महानुभावों का स्वागत किया!