अवस्थाएं
बदलती रहती है
द्रव्य कभी नहीं बदलता.!
67)
विष और संसार
दोनो में संसार अधिक
घातक है लेकिन
दोनो में एक समानता
यह है की दोनों की
मारकता कभी दूर नही होती.!
68)
शासनयोग सफल बनाने
परिणति सुधार करना
आवश्यक हैं.!
69)
भोग तो
हर जनम में मिलेंगे,
आराधना के अवसर
प्रत्येक जन्म में नही मिलते.!
70)
चिंता नहीं,चिंतन करें
कलह नही, कीर्तन करें..
भ्रमण नही,आत्म रमण करें
अतिक्रमण नही,प्रतिक्रमण करें.!
🌧️
*प्रवचन प्रवाहक:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन कृपापात्र*
श्रुत संस्करणप्रेमी,शिष्यरत्न
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर