बेंगलुरु। अवसर वह अनमोल मोती है, जिसे हड़पने के लिए विध्वंसक व सर्जक सदैव आतुर रहते हैं। यदि अवसर विध्वंसक के हाथ लगता है तो विनाश, महामारी, अराजकता, अनाचार, पीड़ा, दंश, असंतोष और पश्चाताप बनकर जीवन को पीड़ामय बनाता है, लेकिन यदि यह सर्जक के हाथ लगता है, तो आनंद, उत्साह, जिज्ञासा, संतोष, प्रेरणा, हर्ष, ज्ञान, सुख, शांति, सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की आधार भूमि बनता है उपरोक्त बातें आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने बुधवार को अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि अवसर उसे महत्व देता है जो अवसर को महत्व देता है।
मय उदाहरण के आचार्य श्री ने कहा कि महान चिंतक सफोक्लीज का मत है कि ‘अवसर उसकी मदद कभी नहीं करता, जो अपनी मदद नहीं करते।’ विवेकशील, कर्मठ व साधक व्यक्ति के सान्निध्य का अवसर ऐतिहासिक स्वर्णिम व स्मरणीय बन जाता है, किंतु निष्क्रिय व निकृष्ट सोच वाले व्यक्ति का साथ या अवसर कलंकित व कंटकाकीर्ण हो जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अवसर का सदुपयोग कर अध्ययन व श्रम से एक व्यक्ति आइएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सम्मानजनक पद पा लेता है, जबकि इसका दुरुपयोग कर कोई व्यक्ति किसी का कत्ल कर स्वयं को कलंकित कर आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी प्राप्त कर सकता है। अवसर तपी व श्रेष्ठ व्यक्ति का साथ पाकर पारसमणि बन जाता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति का साथ पाकर कलुषित व दागी हो जाता है।
अवसर सदैव बुद्धिमान के पक्ष में रहता है। अवसर उस द्रुतगामी वायुयान या रेलगाड़ी की तरह है, जिसे निश्चित समय पर उस दूरस्थ यात्र के लिए निकलना ही है। श्रम संयोजन कर जो अवसर तक पहुंचता है, उसे वह समय पर अपने निर्धारित गंतव्य पर छोड़ देता है। वहीं जो निष्क्रिय है, हाथ पर हाथ धरे रह जाता है, वह फिर हाथ मलता ही रह जाता है।