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अर्थी उठने के पहले जीवन के अर्थ को समझें वरना सब कुछ व्यर्थ: देवेंद्रसागरसूरि

अर्थी उठने के पहले जीवन के अर्थ को समझें वरना सब कुछ व्यर्थ: देवेंद्रसागरसूरि

नोर्थटाउन बिन्नी में तपस्या की पूर्णाहुति निमित्त मोक्षदंड पूजा का आयोजन

श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी की निश्रा में मंगलवार को मोक्षदंड तप के आराधको द्वारा तप की पूर्णाहुति निमित्त मोक्ष दंड की पूजा की गई।

सुबह सबसे पहले आचार्य श्री का मोक्ष दंड पूजा के लाभार्थी परिवार शिल्पा तरुण कुमारजी वेदमेहता के निवास स्थान पर पगलिया हुआ, मंगलाचरण व आशीर्वाद प्रदान करने के पश्चात लाभार्थी परिवार के निवासस्थान से बाजे गाजे के साथ सभी तपस्वी ने संघ भवन के लिये प्रस्थान किया, जहां पर मोक्ष दंड पूजा का आयोजन हुआ, चातुर्मास के दौरान आचार्य श्री के सान्निध्य में सवासो आराधको द्वारा एक दिन छोड़कर 22 उपवास की आराधना की गई, जो 44 वें दिन मंगलवार को पूर्ण हुई।

आचार्य श्री ने धर्मोपदेश देते हुए कहा कि आदमी की जब बारात निकलती है तो नाते-रिश्तेदार आगे-आगे चलते हैं। घोड़ी पर सवार दूल्हा पीछे होता है। जब अंतिम यात्रा निकलती है तो सारे अपने पीछे हो जाते हैं और आपको आगे कर दिया जाता है। इस बात का बहुत गंभीर मतलब है। वह यह कि सांसारिक मोह हमेशा साथ नहीं देता। हर वक्त कोई आपके साथ है तो वह आपकी आत्मा है। अर्थी उठने से पहले अगर आपने अपने जीवन के अर्थ को नहीं समझा तो सब कुछ व्यर्थ है। आचार्य श्री ने कहा कि धर्म मानने से ज्यादा व्यवहार में उतारने का विषय है।

चातुर्मास इसके लिए गोल्डन चांस है। जिस तरह बारिश धरती की प्यास बुझाती है और नदी-नालों को साफ कर देती है, ठीक उसी तरह जिनवाणी की बरसात हमारे जिज्ञासा की प्यास बुझाती है और हृदय के मंदिर को साफ करती है। जीवन को संवारने और मोक्ष पाने के लिए जीवन में पुरुषार्थ करना पड़ेगा। भाग्य भरोसे खेती नहीं होती है। बिना पुरुषार्थ के कुछ भी संभव नहीं है। हमने खेत में बीज डाल दिया और सोचेंगे कि फसल मिल जाएगी, यह संभव नहीं है। खेती करने के लिए खाद, बीज, पानी सभी की आवश्यकता है। ठीक उस प्रकार जीवन में मोक्ष पाना है तो प्रुभ की पूजा, भक्ति, समायिक, प्रतिक्रमण, जप, तपस्या धर्म क्रियाएं आराधक को एकाग्र मन से करनी पड़ती हैं।

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