हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि क्रोध पर काबू अपेक्षा और अपेक्षा का भी अपना एक विज्ञान हैl अगर आपने ध्यान दिया हो तो देखा होगा कि यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आपकी अपेक्षा करें तो आपको गुस्सा नहीं आता पर अगर खास परिचित आदमी आपकी अपेक्षा करें तो आप तत्काल क्रोधित हो उठते हैंl हम लोग यह अपेक्षा पाल लेते हैं कि किसी भी जगह में हमारा रिश्तेदार है जब भी हम कहीं जाएंगे तो वह हमें पूरी जगह घूमायेगाl सहयोग से तुम उनके घर चले गए घूमने तो दूर की बात वह आपके पास पूरा बेठ भी नहीं पाया क्योंकि वह अपने ऑफिस के कार्य में उलझा हुआ था उसके इस व्यवहार ने आपको दुखी और क्रोधित कर दियाl
अपेक्षित अपेक्षा हमेशा गुस्से का नियमित बनते हैं, अच्छा होगा कि हम औरों से अपेक्षा पालने की बजाय अपने आप से अपेक्षाएं पहले इगो को कहे को गो जब अपने अहंकार को चोट पहुंचती है तो उसे गुस्सा आता हैl जब तक तुम्हारा अहंकार संतुष्ट होता रहेगा तुम सामने वाले से खुश ही रहोगे किंतु अहंकार को चोट लगती हीl तुम गुस्सा कर बैठे अहंकार क्रोध का पिता है क्रोध का और भी कारण है और वह आलोचना किसी ने अगर हमारी आलोचना कर दी तो हम तत्काल गुस्सा कर देंगेl लोगों को तो काम है और ऊपर अंगुली उठाना और दूसरा की बातें करना जब भी दो-चार लोग आपस में बात करते हैं तो यह दूसरों के लिए हमेशा विपरीत टिप्पणी किया करते हैंl
यदि वह पहले से ही सोच कर बैठे हैं कि इस मामले को सुलझाना है तो उसे कभी भी सुलझाने नहीं देंगेl साथ एक क्रोध से भी नष्ट होने वाला संबंधों को सुरक्षित रखा नहीं जा सकता है इसीलिए कारण वश कभी झगड़ा हो जाए तो भी पारंपरिक टकराव से अपने आप पर काबू ब कर लेना चाहिए एवं सॉरी बोलकर झगड़ा टाल देना चाहिए शांत रहने में और झुकाने में कोई बुरी बात नहीं है आप शांति से जवाब दें तो आपका मन विचलित होने से बच जाएगाl
जय जिनेंद्र, जय महावीर, कांता सिसोदिया, भायंदर 🙏🙏