चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा तपस्या करने के लिए खाने पीने का स्वाद त्यागना होता है। लोग तपस्या तो करते हैं पर त्याग नहीं कर पाते। याद रहे बिना त्याग के जीवन में सफलता हासिल नहीं हो सकती। काम कोई भी हो उसके लिए त्याग जरूर करना चाहिए।
साध्वी सुविधि ने कहा अपने करीबी को कभी तकलीफ नहीं पहुंचानी चाहिए। कभी कभी लोग अपने स्वार्थ के लिए दोस्तों और परिवार के सदस्यों को तकलीफ पहुंचा कर रिश्तों की डोर को तोड़ देते हैं। याद रहे डोर तोडऩा जितना आसान है उतना ही कठिन उसको जोडऩा है इसलिए ऐसी कोई भी क्रिया नहीं करनी चाहिए जिससे अपनों को तकलीफ पहुंचे।
उन्होंने कहा लोग खुद तो खुश रहना पसंद करते हैं और दूसरों को अपनी बातों से हर्ट कर देते हैं लेकिन मुसीबत में अपने ही काम आते हैं। इसलिए दूसरों के लिए अपनों का दिल नही दुखाना चाहिए। जो खुद को पसंद हो वही दूसरों को भी देना चाहिए। अगर हंसना और खुश रहना पसंद करते हैं तो हंसाना और खुश रखना आना चाहिए।
परिवर्तन जीवन का नियम है जैसा हम सामने वालों को देंगे वो वापस अपने पास ही आएगा। रिश्तों की दरार जल्द से जल्द मिटा देनी चाहिए। दुनिया वालों को समझने से पहले अपनों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। अपने जब मुस्कुराते हुए साथ होंगे तो दुनिया भी साथ रहेगी। इस प्रकार मनुष्य अपनी आत्मा को हल्का बना सकता है।
दिनभर में एक बार तो आत्मा की मुक्ति के लिए चिंतन कर लेना चाहिए। याद रखें जब करीबी अपने साथ होंगे तो दूर वाले भी साथ देंगे, लेकिन करीब के लोग ही साथ नहीं हैं तो दूर वाले भी साथ नहीं देंगे। जीवन को सफल बनाना है तो अपनों का महत्व समझें। मानव भव में आकर अपनों के महत्व को समझने वालों का कल्याण हो जाता है। आज भक्तामर की 17वीं गाथा सर्व रोग नाशक का अनुष्ठान हुआ।
इस मौके पर धार्मिक शेयर बाजार प्रतियोगिता हुई जिसमें विजेताओं को संघ की तरफ से पुरस्कृत किया गया। धर्म सभा में निर्मल मरलेचा, जेपी ललवानी, माणकचंद खाबिया, विजय राज दुगड़, जसराज सिंघवी, सुभाष कांकलिया, पृथ्वीराज बागरेचा, भरत नाहर, प्रवीण नाहर समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।