Sagevaani.com @चैन्नई। कर्मो से डरो ईश्वर से नहीं,ईश्वर तो माफ कर देता है परन्तु कर्म माफ नहीं करतें है। गुरवार साहूकारपेट जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार मे महासती धर्मप्रभा ने श्रावक श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कर्मो के कारण ही हमारी आत्मा संसार मे अनादि काल से भटक और अटक रही है।संसार में सुख- दुःख कर्मों के फल अनुसार ही मिलते हैं। पुण्य कर्मों का फल सुख के रूप में हमें मिलता है। पाप कर्मों का फल दुःख के रूप में मिलता है। इन कर्मों के फल से आज तक कोई भी प्राणीं नहीं बच पाया है।
कर्मों के फल की सजा भगवान महावीर स्वामी को भी भोगनी पड़ी थी।यदि हमारे कर्म अच्छे हैं तो यह जीवन सुधर सकता है वरना यह आत्मा संसार फिर से अटक भटक सकती है। संसार मे मानव भव ही एक ऐसा भव जिससे हम आत्मा को संसार से छुटकारा दिला सकते है। पुण्य और शुभ कर्मों के आधार पर ही हमे मानव भव मिला है और हम तुच्छ वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए हम इस मानवभव को बिगाड़ रहे है। जीवन में सुख-दुःख कर्मो के कारण ही हमे भोगने पड़ते है। कर्म हमारे अच्छे है तो हमें सांप भी डंस लेता फिर भी हम.मरने से बच जाऐगे और कर्म हमारे बुरे है तो शक्कर भी जहर बन जाती हैं। जिस प्रकार हम चाहकर भी अपनी परछांई को अपने से अलग नहीं कर सकते, ठीक उसी प्रकार हमारे द्वारा किए गए कर्म भी हमारा पीछा नहीं छोड़ने वाले नहीं है। भोगने पर ही छुट सकतें है।
साध्वी स्नेह प्रभा ने उत्तराध्ययन सूत्र का वांचन करते हुए कहा कि संसार के प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। इससे मुक्ति कभी नहीं मिलती है। इंसान कितने ही छिपकर कर्म करता है,लेकिन परमात्मा की नजरों से कर्म छिपने वाले नहीं है।कर्म ही सृष्टि का आधार है। मनुष्य जो भी कर्म करता है, चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक, उस कर्म का फल तो उसे भोगने ही पड़ेगे, भोगे बिना संसार से आत्मा को मोक्ष नहीं मिलने वाला है। श्री एस.एस. जैन संघ साहूकार पेट के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया धर्मसभा मे चैन्नई महानगर के उपनगरों के अलावा राजस्थान महाराष्ट्र से पधारे अतिथियों का श्रीसंघ के शांतिलाल दरड़ा, शम्भूसिंह कावड़िया, सुभाष काकलिया, जंवरीलाल कटारिया, ज्ञान चन्द दुग्गड़, राजेश चौरड़िया आदि ने सभी मेहमानों का स्वागत किया।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस. एस. जैन भवन, साहूकार पेट, चैन्नई