चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि जीवन का कुछ ठिकाना नहीं है जब तक सांस है तब तक ही मानव सेवा किया जा सकता है। सांस टूटने के बाद कुछ भी करना संभव नहीं है। इसलिए जब तक सांस चल रही है तब तक धर्म के मार्ग पर बढ़ जाओ।
साध्वी समिति ने कहा कि आज चातुर्मास का चौदस यानी चातुर्मास पूर्ण होने का दिन है। यहां आने के बाद से चार महीने तक हमने बहुत कुछ देखा और बहुत कुछ सीखा। अब उसको जीवन मे उतारने की जरूरत है।
आज के दिन सभी को कुछ न कुछ संकल्प जरूर लेना चाहिए। जब तक मनुष्य लक्ष्य नहीं बनाएगा तब तक जीवन को बदलना संभव नहीं होगा। जीनवाणी का श्रवण करते समय अगर आत्मा का एक कोना भी बदल जाये तो समझो जीवन का उद्धार हो जाएगा।
लोग अपने क्रोध की वजह से बहुत सारी परेशानियों को आमंत्रित करते है। लोगो को गुस्सा अपने आप नहीं आता, बल्कि लोग गुस्सा को आमंत्रित करते है। उन्होंने कहा कि लोगो को उनके अहंकार की वजह से गुस्सा आता है। लोग खुद के आगे सामने वाले का सुनते नहीं है। उन्हें लगता है कि उन्हें सब कुछ आता है।
अगर कोई कुछ बताने की कोशिश करता है तो लोग गुस्सा करते है। याद रहे कि जब तक मनुष्य खुद के अंदर से अहंकार नहीं खत्म करेगा तब तक गुस्सा आना बंद नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने ईमोशन की चाभी अपने हाथ मे रखनी चाहिए। अगर यह चाभी दूसरो के हाथ मे रहेगी तो लोग उसका फायदा उठाएंगे और आप को गुस्सा आएगा। इसलिए खुद की चाभी खुद के पास रखना ही बेहतर होगा।
साध्वी रिदिमा के सानिध्य में दिक्षित होने वाली वैरागन पिरत्ती , सिमरन की संघ द्वारा खोल चून्दरी द्वारा अभिनंदन किया गया ,इस अवसर पर राखी गुलेचा, कविता कोठारी ने दीक्षार्थी स्वागत गीत गाया, मंगलवार को कृतज्ञता समारोह आयोजित कीया जाएगा।