हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैं।
बंधुओं जैसे कि आप अपने अंदर झांकते हैं वह परमात्मा का स्वरूप दिखता है। माना दुनिया की आंखों में धूल झोंक सकते हैं पर याद रखना लाख कोशिश के बावजूद खुद की आंखों में धुल नहीं झोंक सकते हो। उस परम तत्व को धोखा नहीं दे पाओगे। एक दूसरे को धोखा दे सकते हैं लेकिन स्वयं को कब तक धोका दोगे। हमारे साथ अब तक यही होता आया है हम सोचते हैं बंद कमरे में कोई गलत कार्य करेंगे तो उसे कौन देख पाएगा पर इस सत्य को नहीं भुलना चाहिए हमारे भीतर दो सूक्ष्म तत्व है वह परमात्मा का ही स्वरूप तुम्हारे अस्तित्व में जो आता है।
सत्ता है वही तो परमात्मा तत्व का आभा है व्यक्ति को यह सच्च समझ लेना चाहिए कि बाहर जो दिखाई दे रहा है अ चेतन है जड है पुद गल है अगर कोई जीतना का स्पंदन या जागृति है तो वह स्वयं के अंतस्तल स्पदनो और कृत्य की अनुभूति अंतर स्तल में है तुम्हारे पाप और पुण्य के ज्ञाता तुम स्वंय ही हो छिपकरन पुण्य कर सकते हो और नही पाप जब तक अंधकार का बोध न होगा तब तक भीतर जगमगाने वाले दीपक की आभा हमें दिखाई ना देगी। इसलिए ज्ञानी जनों ने कहा कर्म बांधों सोचकर बाधो सोच समझ कर करो यही जीवन की रीत है अन्ना शक्ति ही साधना का प्रथम और अंतिम चरण है।
आज हमारे संघ में हस्तीमल जी सा बोकाडिया जिनके मास खमण की तपस्या की पच्खावनी उनको हम महिला मंडल तहे दिल से हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं।
जय जिनेंद्र जय महावीर कांता सिसोदिया भायंदर🪷🪷