बेंगलुरु। अक्कीपेट जैन मंदिर के प्रांगण में विराजमान आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने प्रवचन के माध्यम से गुरुवार को उद्बोधित करते हुए कहा कि यह सत्य है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही प्राप्त करते हैं।
नकारात्मक सोच जहाँ हमें निराशावादिता और नाकामी की ओर ले जाती है, वहीं सकारात्मक विचार हमें सकारात्मकता और सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सोच हमारी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही कार्य करते हैं।
यदि हम दिन के 24 घंटों में से दस घंटे नकारात्मक बातें करते हैं तो धीरे-धीरे हमारी सोच भी नकारात्मक होने लगती है फिर हमें दुनिया के हर इंसान में बुराई ही नजर आने लगती है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपनी सोच को सीमित रखता है, वह अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाता है। हमेशा आपको अपनी सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए। आप जिस चीज के बारे में सोचेंगे, वही आपको मिलेगी।
यदि आप किसी चीज के बारे में सोचते ही नहीं हैं तो आप उसे पा ही नहीं सकते। आचार्यश्री ने यह भी कहा कि सफलता और हमारे बीच की दूरी बस दस कदम की है। हमें सफलता तभी मिल सकती है, जब हम अपनी नकारात्मक सोच को त्यागकर स्वयं को इसके योग्य समझेंगे। एक सोच के बदलने मात्र से ही जीवन में परिवर्तन निश्चित आता ही है।