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अपनी वाणी का विवेक पूर्वक उपयोग करना भी धर्म है: उप प्रवर्तीनी संथारा प्रेरक महासाध्वी गौरव श्री सत्य साधना जी

अपनी वाणी का विवेक पूर्वक उपयोग करना भी धर्म है: उप प्रवर्तीनी संथारा प्रेरक महासाध्वी गौरव श्री सत्य साधना जी

बहुत ही हर्ष का विषय है की श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ मेवाड़ उपसंघ भायंदर के तत्वाधान में उप प्रवर्तीनी संथारा प्रेरक महासाध्वी गौरव श्री सत्य साधना जी मा. सा. आदी ठाना 7 के सानिध्य में दिवाकर कमलावती जी महाराज साहब के स्मरण मैं ट्रांपी प्रश्न मंच तारीख ( 8)( 10) 2023) को हुआ थाl उसमें प्रथम वसई सेकंड विरार थर्ड भयंदर 4th विक्रोली फाइव भयंदर एवं सभी को कॉन्सुलेशन प्राइस दिए गएl

उसमें 70 ग्रुप में पार्टिसिपेट किया प्रश्न मंत्र बहुत ही अच्छे से हुआl आचरण की मर्यादा में पहली है एवं मेवाड़ हमारे यहां पांच समितियां का जिक्र आता है जिसमें एक है भाषा समिति अपनी वाणी का विवेक पूर्वक उपयोग करना भी धर्म हैl अगर आप अभिषेक से गाली गलौज के साथ भाषा का प्रयोग करते हैं पहले आप समय पूजा ही क्यों ना करते हो और यह धर्म है अगर आप विवेक पूर्वक सलीके से भाषा का उच्चारण कर रहे हैंl वाणी का प्रयोग कर रहे हैं तो यह भी धर्म है वाणी में सी भले ही रख पर उसमें धागा डाल कर रखो ताकि सी केवल छेड़ी ना करेंl वह आपसे दूसरे को जोड़कर भी रखें कब कहां बोलना कितना बोलना है इसका भी आपको यह होl

इन्हीं शुभ भाव के साथ जय जिनेंद्र, जय महावीर, महावीरl

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