चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में साध्वी मुदितप्रभा ने कहा एक दूसरे से ईष्र्या भाव मानव को नीचे गिरा देता है। संसार, धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक कोई भी क्षेत्र हो जहां मानव अपनी तुलना दूसरे से करता है, ईष्या भाव बढ़ाता है और स्वयं को पतन के मार्ग पर धकेल देता है।
इतिहास साक्षी है कि दूसरों के साथ तुलना की वजह से उत्पन्न ईष्या भावों के कारण बड़े बड़े युद्ध हुए हैं। जलन भावों के कारण मानव अपने श्रद्धा भक्ति के गुणों का भी नुकसान कर देता है और अन्दर ही अन्दर अपने मूल गुणों को नष्ट कर देता है।
स्थूलभद्र के प्रति प्रभु महावीर के अन्य शिष्यों का ईष्या भाव उन के पतन का कारण बना। किसी के अतीत और वर्तमान के साथ तुलना करते हुए उनका अपमान या तिरस्कार न करें।
तुलना दूसरों के साथ न करते हुए स्वयं की क्षमता के साथ करते हुए अपना अपना अवलोकन हम स्वयं ही करें और पुरुषार्थ बढ़ाने का प्रयास करें। दूसरों के पुरुषार्थ की अनुमोदना अहोभावों के साथ करें।