महामांगलिक से हुआ त्रिदिवसीय गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव का आगाज
इंदौर। तपागच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय प्रेम सुरीश्वर जी म.सा. के शिष्य रत्न, कृष्णगिरी शक्तिपीठाधिपति-राष्ट्रसंत, यतिवर्य डॉ वसंतविजयजी म.सा. का चातुर्मासिक प्रवेश रविवार को शुभ ब्रम्हमुहूर्त में सूर्योदय के समय 5:51 बजे से यहां ह्रींकारगिरी तीर्थ में धूमधाम से हुआ।
ढोल नगाड़ों की गूंज एवं भगवान पार्श्वनाथजी तथा सदगुरुदेव के जयकारों के साथ आयोजित हुए इस कार्यक्रम में स्थानीय ही नहीं उज्जैन, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, नीमच, भोपाल, अमेरिका, लंदन सहित राजस्थान और दक्षिण भारत के अनेक शहरों से श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यतिवर्यजी की अभिवंदना में श्रीमती सज्जनबाई कोठारी सहित कोठारी परिवार के सदस्यों व अनेक गुरुभक्तों ने की।
श्री नगीनभाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट ह्रींकार गिरी के तत्वावधान में आयोजित इस दिव्य भक्ति चातुर्मास-2019 के प्रवेश कार्यक्रम में सर्वप्रथम डॉ वसंतविजयजी ने तीर्थ धाम में प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं के समक्ष विधिवत वंदन-प्रार्थना की। इसके बाद अपने संक्षिप्त वक्तव्य में उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिन शासन में मुहूर्त की बड़ी महत्ता है।
उन्होंने कहा कि चातुर्मास पर्व में संतों का ही प्रवेश नहीं होता, बल्कि संतो के साथ जो श्रद्धालु चलते हैं उन्हें भी प्रभु मंदिर में प्रवेश का लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि भाग्य के दरवाजे में प्रवेश की प्रार्थना कर शुभ संकल्प लेना चाहिए। संतों का प्रवेश श्रद्धालुओं को धर्म देने का है उसे पाने के लिए संकल्पित होकर प्रवेश करेंगे तो यही धर्म ही धर्मलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, भाग्यलक्ष्मी और मोक्षलक्ष्मी बन जाता है।
धर्म के मार्ग को उजाले का मार्ग बताते हुए राष्ट्रसंतश्रीजी ने कहा कि अनंत युगों तक समृद्धि की सुरक्षा के लिए धर्म का साथ जरूरी है। डॉ.वसंतविजयजी ने कहा धर्ममय लक्ष्मी ही साथ चलती है जबकि कर्ममय लक्ष्मी क्षय कराती है। कार्यक्रम का संचालन ज्योतिषाचार्य संतश्रीवज्रतिलकजी वीएमएस ने किया।
इस अवसर पर हर्ष मेहता, अमेरिका से आये सुनील गोलिया, चेन्नई के रमेश बोथरा, मनोज भाई श्रीमती किरण मेहता ने भी स्तवन व गीतिकाओं के माध्यम से गुरुवंदना की। सभी का आभार जय कोठारी ने जताया।
महामांगलिक के साथ त्रिदिवसीय गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव का आगाज..
इंदौर शहर के न्यू पलासिया रोड़ स्थित बास्केटबॉल स्टेडियम में त्रिदिवसीय गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव का आगाज रविवार को दोपहर राष्ट्रसंत, मंत्रशिरोमणि डॉ वसंतविजयजी की निश्रा में उनके अनेक चमत्कारिक दिव्य महामांगलिक वाचन के साथ हुआ। श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट ह्रींकारगिरी के तत्वावधान में श्री विजय शिल्पा आर्यन अमिश्री कोठारी परिवार वाले इस कार्यक्रम के लाभार्थी हैं। इस अवसर पर डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि संत कभी कहीं स्वार्थ लेकर नहीं आते हैं, संतों के पास जो ज्ञान, ध्यान व धर्म रुपी विशिष्ट संपदा है उसी को लेने वाले में योग्यता होनी चाहिए। जैन शासन को मंगल प्रदायक बताते हुए वसंतविजयजी ने कहा कि हर धर्म में आशीर्वाद है, मगर जैन धर्म में धर्म लाभ को व मांगलिक को ही महत्वपूर्ण बताया गया है। कार्यक्रम में मंत्रशिरोमणिजी ने मंत्रों की अनेक विधियों व शक्तियों की विशेषता बताते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं को सामूहिक उच्चारण कराया व साक्षात एवं दिव्य अनुभव कराया। साथ ही व्यक्ति के सुखी,शांत, निरोगी एवं समृद्धि प्राप्ति के लिए अनेक आवाजों के माध्यम से तरंग व ऊर्जा को स्थापित करने के मंत्र एवं योग मुद्राएं कराई। उन्होंने संगीतमय भजनों के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को झूमने पर मज़बूर किया। ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री योगेंद्र महंत, गोमूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ वीरेंद्र कुमार जैन, दिलीप गुप्ता, प्रकाश तलेसरा, बाबूलाल जैन, रेखा जैन, विजया जैन, जयंतीलाल थावरिया, योगेश लखानी, अमित कुमार, रितेश जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इस अवसर पर ब्राइटग्रुप के योगेश लखानी का सम्मान भी किया गया। दीपक करणपुरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया।