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ज्ञान वाणी

अध्यात्म विकास का हो लक्ष्य: आचार्य महाश्रमण

अध्यात्म विकास का हो लक्ष्य: आचार्य महाश्रमण
कोयम्बत्तूर. आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में दक्षिण भारत में पहली बार आयोजित तेरापंथ धर्मसंघ का तीन दिवसीय 155वां मर्यादा मंगलवार यहां संपन्न हो गया। 
महोत्सव के आखिरी दिन आचार्य ने वर्ष 2023 तक के लिए चातुर्मास, वर्धमान महोत्सव, मर्यादा महोत्सव और अक्षय तृतीया के कार्यक्रमों की घोषणा भी की। आचार्य का वर्ष 2019 का चातुर्मास बेंगलूरु में तय है।
महोत्सव में आचार्य ने 2022 और 2023 के चातुर्मास की घोषणा की। आचार्य का वर्ष 2021 का चातुर्मास भीलवाड़ा में होगा। 
अगले चातुर्मास के लिए आचार्य का बेंगलूरु में प्रवेश 12 जुलाई को सुबह 8.31 बजे होगा।
अगले साल आचार्य के सान्निध्य में औरंगाबाद में अक्षय तृतीया का आयोजन होगा जबकि गदग में वर्धमान महोत्सव आयोजित होगा। वर्ष 2021 में मर्यादा महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगा जबकि अक्षय तृतीया का आयोजन इंदौर में होगा।
वर्ष 2022 का चातुर्मास छापर, मर्यादा महोत्सव बीदासर और अक्षय तृतीया सरदार शहर में आयोजित होगा। आचार्य का वर्ष 2023 का चातुर्मास मुंबई, मर्यादा महोत्सव बायतू और अक्षय तृतीया का आयोजन सूरत में होगा। वर्ष 2023 में आचार्य 21 दिन अहमदाबाद में भी प्रवास करेंगे। 
कोडेशिया ट्रेड फेयर के ब्लाक डी में आयोजित समारोह के तीसरे दिन की शुरूआत आचार्य के महामंत्रोच्चार के साथ हुई। इसके बाद मुनि दिनेश कुमार ने मर्यादा गीत का संगान किया। साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा ने मर्यादा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ मर्यादा के आधार पर ही चल रहा है। आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित मर्यादा पत्र ही इसका आधार है।
उन्होंंने मर्यादा महोत्सव के आरंभ और उसके चर्चा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने संघ के विकास के लिए निष्ठाओं का भी वर्णन किया। आचार्य महाश्रमण ने महोत्सव के मुख्य दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अध्यात्म के विकास के लक्ष्य के साथ काम करना चाहिए। धर्मसंघ पूरा आध्यात्मिक दर्शन पर आधारित है।
अध्यात्म से कल्याण की भावना परिपुष्ट होती है। आचार्य ने कहा कि वैराग्य की भावना संपुष्ट बनी रहनी चाहिए। संघ के प्रति आदर रखें और उसके प्रति निष्ठा भी अटूट बनी रहनी चाहिए। जीवन में तुच्छ बातों को लेकर परेशान ना हों। शतायु बनें और अच्छा काम करें, इस भावना के साथ जीवन के पथ पर आगे बढ़ें। 
सभी रूपों में संघ की सेवा का प्रयास करें। मर्यादाओं के प्रति जागरुक रहें और उसका मान रखें। मर्यादा ही आपका भी मान रखता है। ज्ञान, दर्शन और चारित्र में प्रवर्धमान बनें। आचार्य ने मर्यादा पत्र का वाचन किया। साथ ही स्वरचित गीत का संगान भी किया। 
आचार्य ने कहा कि आचार्य जन्म शताब्दी के मौके पर एक वर्ष के पाठ्यक्रम महाप्रज्ञ श्रुतसाधान अभिहित किया है। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष को ज्ञान चेतना वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। आचार्य महाप्रज्ञ के संबोधी ग्रंथ को कंठस्थ करने का प्रयास करें।

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