श्री हीराबाग जैन स्थानक सेपिंग्स रोड में विराजित महासतीजी श्री आगमश्रीजी म.सा ने प्रवचन में बताया कि आत्माेपासना एक सुंदर उपक्रम है जिसमें साधक अपनी आत्मकथा खुली पुस्तक की तरह पढ़ लेता हैं।
कहां कहां और कैसे कैसे दोषों का सेवन हुआ है उसकी जांच परख प्रतिक्रमण में हो जाता है। व्रत प्रत्याख्यान स्वीकार करने पर ही प्रतिक्रमण होता है।
साध्वी धैर्याश्रीजी ने बताया कि धर्म का भूषण वैराग्य हे वैभव नही, संसार, शरीर, परिवार संबंधी सुख सुविधा का मिलना पुण्योदय हे। साथ ही दस उपवास के प्रत्याख्यान श्रीमती आराधना गादिया, प्रीति सखलेचा, ऋषभ बोथरा के हुवे।