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अध्यात्म की गीता उत्तराध्ययन सूत्र – साध्वी सुधा

अध्यात्म की गीता उत्तराध्ययन सूत्र – साध्वी सुधा

जय जिनेंद्र, कोडम्बाक्कम वडपलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज 16 जुलाई शनिवार कोो सुधाकंवर जी म सा ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए 32 आगमों और जैन दर्शन में उत्तराध्यन सूत्र का महत्व बताते हुए कहा कि उत्तराध्ययन सूत्र अध्यात्म की गीता है। जब शरीर गंदा हो जाता है तो पानी में डुबकी लगाने से शरीर साफ हो जाता है! वैसे ही भीतर के मैल को हटाने के लिए जिनवाणी रुपी गंगा की डुबकी लगानी चाहिए! उत्तराध्ययन सूत्र एवं विपाक सूत्र उस वसीयत के समान हैं जो परमात्मा ने अपने अंतिम समय में अपनी संतानों को दिया।

 सुयशाश्रीजी म सा के मुखारविंद से:-

आज का विषय:- इस संसार में सबसे महत्वपूर्ण और बेशकीमती चीज अगर कोई है तो वह है हमारा जीवन । हमारी उपलब्धियां, हमारी संपत्ति, हमारा ऐश्वर्य तब तक ही मायने रखता है जब तक की हमारा अस्तित्व है। यह सारी चीजें हमसे हैं, हम इन चीजों से नहीं है। परमात्मा की अनंत कृपा से हमें जो यह बेशकीमती जीवन मिला है उसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए। परमात्मा प्रदत सफल और सुंदर बनाने के लिए जीवन का महत्व समझें। हमारे भीतर जो संग्रह वृत्ति है उसे कम करने का प्रयास करें। किसी भी चीज का अधिक संग्रह ना करें चाहे वह सामग्री हो, संपत्ति हो या विचार हो। सामग्रियां जिंदगी को आसान बनाने के लिए होते हैं लेकिन अगर उनका अत्यधिक संग्रह किया जाए तो वही जिंदगी में मुश्किलें भी खड़ी कर देती हैं। भविष्य के बारे में सोचना अच्छी बात है लेकिन अत्यधिक कल्पना करके चिंता करना बुद्धिमानीता नहीं है। अगर जिंदगी में सम्मान पाना चाहते हैं तो पहले सम्मान करना सीखें।

उल्लेखनीय है कि आज वडपलनी निवासी अशोकजी तालेड़ा के 13 उपवास है, श्रीमती सुशीला जी बाफना (टंडियारपेट निवासी) के पांच उपवास है, श्रीमती प्रकाश जी लालवानी के 4 उपवास हैं और इसके अलावा क्रमशः 6, 5, तेले, उपवास एवं आयंबिल की तपस्या निरंतर चल रही है*

*🙏 जय जिनेंद्र!*

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