*विंशत्यधिकं शतम्*
*📚💎📚श्रुतप्रसादम्*
🪔
*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरणरज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
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तारक त्रिपदी:
धैर्य, समता,गंभीरता
१)
बिना
प्रमाणिक
प्रमाण के बिना
किसी पर आक्षेप न करें
अर्थात *धैर्यपूर्वक* कार्य करें,
*अधैर्य अन्याय का कारण है..!*
२)
कारण हो
या कारण न हो
किसी भी संजोग में
किसी पर भी आक्रोश न करें
अर्थात *समत्वपूर्वक* निर्णय करें,
आक्रोश में हित अहित का
भान नही रहता.!
३)
किसी की
राज की बात
प्रगट नही करनी,
अतः गुप्त बातो को
*गंभीरतापूर्वक* ह्रदय में रखें,
चंचल हृदय में रहस्य नही टिकते.!
🙏
*सज्जन इन गुणों से*
*युक्त होते है.!*
*📒उपदेश रत्नमाला कुलक*
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*