कोलकाता . ईस्ट कोलकाता नागरिक फाउण्डेशन की ओर से लेकटाउन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस आचार्य पं. राधेश्यामजी शास्त्री ने विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि दान करनेवाला सदैव बड़ा होता है और लेने वाला छोटा। दान की महत्ता इसी से परिभाषित होती है। हमारे समाज में दान की परंपरा इसी कारण प्रभावी है।
शक्तिधाम दादीजी मंदिर में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के चतुर्थ दिवस पर श्रीधाम वृंदावन से पधारे पंडित राधेश्याम शास्त्री ने अपने प्रवचन में श्रोताओं को सांसारिक ज्ञान के दौरान यह बातें कही। दिव्य कथा श्रीमद्भागवत में चौथे दिन आयोजित प्रसंग में शास्त्री ने बताया कि जब जीव के जन्म जन्मांतर के पुण्यों का उदय होता है तब जाकर इस धरती पर भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में चार वर्ण हैं- शिक्षक, रक्षक, पोषक एवं सेवक। सभी को अपने वर्णानुसार सही धर्म का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रखने से मनुष्य भवसागर पार होता है। भागवत कथा में वर्णित समस्त प्रसंग मनुष्य का जीवन संवारने वाले हैं।
घरों में बुजुर्गों एवं नारियों को अपेक्षित सम्मान मिलने से पीढिय़ां संस्कारित होती हैं। स्कूली शिक्षा से कहीं जरूरी संस्कारों की शिक्षा है, जो हमें घर में माता-पिता से प्राप्त होती है।
भक्त प्रह्लाद व सागर के मंथन की कथा सुनायी। शास्त्री जी ने बताया कि जब भक्त प्रह्लाद से नृसिंह भगवान ने वरदान मांगने को कहा तो प्रह्लाद ने कहा कि मैं व्यापारी नहीं अपितु आपका प्रेमी भक्त हूं, आप मेरी मांगने की कामना को ही समाप्त कर दें। महाराज ने धर्म की चर्चा करते हुए बताया कि हल जोते अरु हरि भजै, भूखे को कछु देय! इतने पे हरि न मिले, तो तुलसी दासते लेय!!
गजेन्द्र मोक्ष की कथा में शास्त्री ने बताया कि जीव हाथी है, सरोवर ही संसार है, ग्राह ही काल है, काल रूपी ग्राह से रक्षा केवल श्रीहरि ही कर सकते हैं। उन्होंने वामन भगवान की कथा और भगवान की सुंदर झांकी का दर्शन कराया। सूर्य वंश में प्रभु श्रीराम का अवतार हुआ। श्रीराम का अवतार केवल राक्षसों को मारने के लिए नहीं बल्कि मानव मात्र को शिक्षा देने के लिए हुआ। चंद्रवंश में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
मथुरा में जन्म एवं गोकुल में जन्मोत्सव मनाया गया। नन्द के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल की नारे के साथ बालकृष्ण की दिव्य झांकी का दर्शन कराया गया। इस दौरान सभी भक्तों ने गायन एवं वादन के साथ नृत्य किया। प्रारम्भ में कथा यजमानों ने व्यासपीठ का पूजन किया।
प्रसाद यजमान हरिकिशन राठी, जगदीश प्रसाद जाजू एवं प्रदीप तोदी ने विशिष्ट भूमिका निभाई। अध्यक्ष प्रीतम दफ्तरी, अशोक भरतिया, पी.एल.खेतान, अशोक अग्रवाल सहित महिला समिति की सभी सदस्य सक्रिय थीं। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी ओमप्रकाश भरतिया को कर्मयोगी सम्मान से विभूषित किया गया। कार्यक्रम का विधिवत संचालन कथा संयोजक प्रकाश चण्डालिया ने किया।