★ अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के प्रथम दिन सर्वधर्म सम्मेलन का हुआ आयोजन
★ साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस पर धर्म गुरुओं ने शांत, आनन्द, प्रसन्नचित्त रहने की दी प्रेरणा
Sagevaani.com @चेन्नई: अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में अणुव्रत समिति, चेन्नई की आयोजना में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत प्रथम दिन साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस का आयोजन किया गया।
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी लावण्यश्रीजी ठाणा- 3 के पावन सान्निध्य में आयोजित सर्वधर्म सम्मेलन में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बीना दीदी- समन्वयक तमिलनाडु पुडुचेरी केरला, इस्लाम धर्म से डॉ श्रीमती जैनुब बी, हिंदू धर्म से सिद्ध गुरु श्री सैमी कंदा गुरु सिद्दर (श्री थोत्रमुदैया अम्मन अरुल ज्ञान पीदम) एवं सिख धर्म से श्री ज्ञानी प्रतिपाल सिंह (हेड- ग्रंथि) ने सहभागिता निभाई।
◆ अणुव्रत सूर्य के प्रकाश की भांति जनोपयोगी
साध्वी सिद्धांतश्री ने कहा कि धरती पर जब जब धर्म का ह्रास हुआ, तब तब विभिन्न धर्म गुरुओं ने अपने-अपने सिद्धांतों के आधार पर धर्म का प्रचार प्रसार किया। भारत के आजादी के समय बह रही खुन की नदियों को देखते हुए मानव में मानवता का विकास, नैतिकता का निर्माण, इंसानियत के जागरण के लिए आज से 75 वर्ष पुर्व जैनाचार्य तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात किया। वर्तमान के भौतिकतावादी वातावरण में अणुव्रत सूर्य के प्रकाश की भांति जनोपयोगी है। हमें जो बहुपयोगी मनुष्य जन्म मिला है, उसका संयम के साथ सार निकालना चाहिए।
ज्ञानाशाला, सेलम ज्ञानार्थीयों ने प्रशिक्षिकाओं के साथ मिल बहुत ही सुन्दर ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी। जिसे पुरे सदन ने ऊँ अर्हम् की ध्वनि से सराहा।
◆ धर्म गुरुओं की वजह से ही धर्म टिका हुआ
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमान् विजयराज कटारिया (वी आर जेवल क्राफ्ट, चेन्नई) ने कहा कि धर्म गुरुओं की वजह से ही धर्म टिका हुआ है। इंसान का नैचर अच्छा हो, परिवार, समाज के साथ जुड़ा हुआ हो तो उसका कल्याण होता है।
◆ हर परिस्थिति में रहे खुश
इससे पूर्व तेरापंथ जैन विद्यालय, साहुकारपेट में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीमती रेखा मरलेचा के साथ अणुव्रत समिति सदस्यों द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बीना दीदी ने कहा कि परिस्थितियाँ प्रतिकूल हो सकती है लेकिन हम शांत रहेंगे, खुश रहेंगे, प्रसन्न रहेंगे तो संतुष्ट रहेंगे। हम सृष्टि पर कर्मयोगी है, परमात्मा की संतान है, हिलमिल कर रहना चाहिए।
◆ जीवन में आनन्द के लिए निस्वार्थ और रहे अभय
डॉ श्रीमती जैनुब बी ने कहा कि सफल बनने के लिए जीवन में आनन्द का होना जरूरी है। उसके लिए मनुष्य को निस्वार्थ भाव से अपने धर्म के बताए सत् मार्ग पर चलना चाहिए। आपने कहा कि उपनिषदों में बताया गया है कि अभय बन कर ही आगे बढ़ सकते है। जाति एक पहचान हो सकती है लेकिन सभी धर्मों का एक ही लक्ष्य होता है कि हमें शांति मिले।
◆ राजस्थानी सभी के दिलों में करते राज, लेकर चलते साथ
श्री सैमी कंदा गुरु सिद्दर ने कहा कि तमिल मातृभाषा है तो हिन्दी पितृ भाषा है। राजस्थान यानि राज्य स्थान। वे सभी के दिलों में राज करते हैं। राजस्थानी सबको साथ में लेकर चलते हैं। तमिल भाषा में प्रभावी व्यक्तव्य देते हुए कहा कि कष्ट कभी भी आ सकते है, हमें शुद्ध मन से भगवान को याद करना चाहिए। शारिरिक, मानसिक, आर्थिक हर स्थिति में कष्ट दूर हो जाता है।
◆ विद्या ग्रहण भी हो परोपकार के लिए
श्री ज्ञानी प्रतिपाल सिंह ने कहा कि मनुष्यता के विकास के लिए सिख धर्म में तीन मुख्य सिद्धांत बताये है- 1. परमात्मा का जाप करें, 2. खानपान शुद्ध हो और 3. विद्या ग्रहण करें, वह भी परोपकार के लिए करें। सबमें परमात्मा की ज्योति है, इसको आत्मसात करना चाहिए।
केशरसिंह राजपुरोहित ने भी विचारों की प्रस्तुति दी। अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्री ललित आंचलिया ने स्वागत भाषण, मंत्री श्री स्वरूप चन्द दाँती ने आभार ज्ञापन और कार्यक्रम संयोजक श्री भरत डी मरलेचा ने कुशल संचालन किया। कार्यक्रम में अणुव्रत समिति के साथ अनेकों समाज के गणमान्य व्यक्तियों की सराहनीय उपस्थित रही। समिति द्वारा सभी अतिथियों का शाल, मोमेंटो, साहित्य से सम्मान किया गया।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती