राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश के प्रवचन
कोलकाता. अज्ञान हमारे जीवन का सबसे कट्टर शत्रु है। अनर्थ की खान और पापों की जननी है। अज्ञान से बढक़र और कोई जहर नहीं। एक शब्द का ज्ञान दान विश्व की संपूर्ण संपत्ति के दान से बढक़र है। अज्ञान दशा में की गई कठोर से कठोर साधना सफलता के बजाय संघर्ष में परिवर्तित हो जाती है।
राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में जनसभा को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा कि अज्ञान का सघन अंधकार साक्षात परमात्मा भी सामने आकर खड़े हो जाए तो उनका साक्षात्कार नहीं होने देता। दुश्मन तो तन का नुकसान कर सकता है लेकिन अज्ञान आत्मा का जन्म जन्मांतर तक नुकसान करता है। मुनि ने कहा कि अज्ञान के कारण व्यक्ति हर स्थान पर उपहास और हंसी का पात्र बनता है। अज्ञान सही स्वरूप का साक्षात्कार नहीं कर सकता।
किसी को अज्ञान से मुक्त करना सबसे बड़ा दान पुण्य सेवा और तीर्थ कराने के समान है। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही परमात्मा का दूसरा रूप है। ज्ञान की आराधना करना परमात्मा की पूजा से बढक़र है। अनंत काल के अज्ञान के अंधकार को ज्ञान एक पल में नष्ट कर देता है। ज्ञान दान महादान ज्ञान तीसरा नेत्र है अनमोल धन है। इसे न कोई चुरा सकता न बांट सकता है। संकट की बेला में ज्ञान ही सच्चा साथी व हमारा सच्चा श्रृंगार है। ज्ञान के प्रकाश से पूरे विश्व को आलोकित करने का संकल्प हम सभी को लेना है। विश्व को विनाश से ज्ञान ही बचा सकता है।
ज्ञान ऐसा धन है बांटने से बढ़ता ही है। एक दीपक से लाखों दीपक जलते हैं यदि एक आत्मा भी ज्ञानी हो जाती है तो अनंत आत्माओं को ज्ञानवान बना सकती है। आत्मा अगले जन्म जाती है ज्ञानी उसका सच्चा साथी है ज्ञान समानता को भी परमात्मा के रूप में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। विमला भंडारी और अभय कुमार भूरट के सिर्फ गर्म जल के आधार पर पांचवा उपवास है। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनिजी ने विचार व्यक्त किए।