चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने गुरुवार को कहा कि जब तक मनुष्य का पुण्य साथ देता है तब तक उसके पापकर्म छिपे रहते हैं लेकिन पाप का घड़ा भरने के बाद पुण्य का उदय समाप्त हो जाता है। मनुष्य अगर एक पुण्य का काम कर पाप करेगा तो भी उसको पाप का भुगतान करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा वर्तमान में लोग दूसरों के हक को छीनने की कोशिश करते हैं लेकिन याद रहे दूसरों का छीनना या उसकी कोशिश करना महा पाप कहलाता है। मनुष्य को ऐसे पापकर्म करने से बचना चाहिए। साध्वी समिति ने कहा सम्यकत्व प्रकाश है तो मिथ्यात्व अंधकार। बिना अंधकार को जाने मानव को प्रकाश की प्राप्ति नहीं हो सकती।
वर्तमान में मनुष्य अंधकार को जाने बिना की प्रकाश की ओर बढने की कोशिश कर रहा है और असफल हो रहा है। लेकिन याद रहे शुरुआत कहां से करनी है का पता नहीं होगा तो मंजिल तक पहुंच कर भी वापस आना पड़ेगा। उन्होंने कहा मनुष्य की आत्मा जीव है और संसार की अन्य चीजें अजीव है। लेकिन मानव आत्मा को छोड़ कर सांसारिक अजीव चीजों के पीछे भाग रहा है।
लोग अजीव वस्तुओं के पीछे इस कदर भाग रहे हैं कि सब कुछ उसी को समझने लगे हैं। मानव जब तक अजीव में उलझा रहेगा तब तक उसकी जीव आत्मा परमात्मा नहीं बन सकती है। मानव भव मिलने के बाद आत्मा को परमात्मा बनाने के बजाय लोग संसार के झूठे लोभ के पीछे जाकर दुर्गति की ओर बढ रहे हैं।
धार्मिक मंत्रोच्चार के साथ 48 दिवसीय भक्ताम्बर अनुष्ठान का शुभारंभ का पंचपरमेष्ठी पांच मंगल कलश की स्थापना आनंद मल छलाणी, निर्मल मर्लेचा, महेश तालेडा, सुरेश कोठारी, मंगल खारीवाल आदि पधाधिकारियों ने की ।