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ज्ञान वाणी

अच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा ही होता है: कपिल मुनि

अच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा ही होता है: कपिल मुनि

चेन्नई. अच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा ही होता है। लाख बाधा आने पर भी व्यक्ति को अच्छे कार्य करते रहना चाहिए। अच्छे कर्म ही व्यक्ति को यशस्वी बनाते हैं और जीवन यात्रा का फासला कम कर देते हैं।

गोपालपुरम स्थित भगवान महावीर वाटिका में विराजित कपिल मुनि ने कहा इंसान को ढोंग और पाखण्ड पूर्ण जीवन से ऊपर उठकर ढंग का जीवन जीने का अभ्यास करना चाहिए। व्यक्ति द्वारा जीवन में जो कुछ भी अच्छा -बुरा किया जाता है वो कभी व्यर्थ नहीं जाता इसलिए जिन्दगी में जो कुछ भी करें बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए अन्यथा हाथ मलते रहने के सिवाय कुछ भी नहीं बचेगा।

मुनि ने कहा कि आदमी आज तेज रफ्तार वाले युग में जी रहा है इसलिए वह सोचता कम है। जब तक जीवन है तब तक उसके साथ कर्म लगा रहेगा क्योंकि जीवन एक कृत्य है। कार्य करने वाले की नीयत और प्रकृति उस कार्य को पूजा भी बना सकती है तो अपराध भी।

जब हमारा जन्म होता है तभी मृत्यु सुनिश्चित हो जाती है। जन्म और मृत्यु के बीच की दूरी को हरेक इन्सान अपने हिसाब से महसूस करता है धर्म और परोपकार के कार्य करने वालों के लिए ये दूरी और यात्रा उत्सव और खुदगर्जी और निजी स्वार्थ के दलदल में जीने वालों के लिए बोझ बन जाती है।

उन्होंने कहाजीवन को गौरवपूर्ण और सफल बनाने के लिए चेतना के दरवाजे पर विवेक का पहरा होना बेहद जरूरी है। जिंदगी की प्रत्येक प्रवृत्ति और गतिविधि विवेक के साथ की जाए तो कर्म बंध से बचना आसान हो जाता है। जीवन से जुड़ी प्रत्येक प्रवृति चलना, फिरना, उठना, बैठना और भोजन-संभाषण करना आदि विवेक युक्त होने चाहिए।

स्वविवेक ही जीवन का निर्णायक है। विवेक ही एक ऐसा तत्व है जो अच्छा-बुरा और करणीय-अकरणीय के बीच भेद-रेखा खींचता है। जिस कार्य को उत्साह और उमंग से लबरेज होकर किया जाता है उसका परिणाम भी सकारात्मक और दीर्घजीवी होता है। साधना की सिद्धि के लिए या सार्थक परिणाम पाने के लिए उसका नियमित और निरंतरता के साथ अभ्यास जरूरी है।

जन्मो जन्मों के कर्मों का नाश एक दिन या कुछ पल में ही नहीं हो जाता, समय रहते ही व्यक्ति को अपनी जीवन शैली को सुधारने की चेष्टा करनी चाहिए अन्यथा बेहद दयनीय हालत में जीने और मरने की मजबूरी का सामना करना पड़ेगा। जिंदगी सस्ती और सहज में मिलने वाली चीज नहीं है। इसे पाने के लिये अनंत अनंत जन्मों तक पुण्य के सुमेरु खड़े करने पड़ते है।

ये जीवन संसार की आपाधापी में ही व्यतीत न हो जाये इसलिए प्रत्येक पल को होश पूर्वक जीने में ही इस जीवन की सार्थकता और धन्यता का राज छुपा है। इस मौके पर सुभाषचंद रांका, हुक्मीचंद कोठारी, देवीचंद संकलेचा, आनन्द कुमार बोहरा,नवीन ओस्तवाल, ललितकुमार संचेती समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। संचालन मंत्री राजकुमार कोठारी ने किया। अध्यक्ष अमरचंद छाजेड़ ने आगंतुकों का सत्कार किया।

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