अनुष्ठान आराधिका-शासनसिंहनी का मित्रता दिवस पर विशेष व्याख्यान
बेंगलूरु। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनुष्ठान आराधिका, शासन सिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने रविवार को ‘फ्रेंडशिप डे’ के उपलक्ष्य में अपने प्रभावशाली प्रवचन में कहा कि अच्छा मित्र बेशकीमती हीरे के समान होता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा से हमें मिलने वाली तीन चीजों में माता-पिता, संतान और मित्र शामिल है।
साध्वीश्री ने कहा कि मित्रता का चयन निश्चित रुप से व्यक्ति स्वयं करता है, लेकिन जैसा मित्र होगा वैसा ही व्यक्ति का चरित्र होगा। डाॅ.कुमुदलताजी ने ‘मित्रता’ शब्द को विस्तार से परिभाषित किया साथ ही कहा कि जिस प्रकार प्रभु महावीर ने उत्तराध्ययन सूत्र मेें बताया है कि आत्मा ही अच्छे-बुरे कर्मों की भोक्ता है उसी प्रकार आत्मा ही हमें हमारे अच्छे मित्र की पहचान कराती है।
स्थानीय वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के चातुर्मासिक पर्व के दौरान दिवस विशेष पर अपने व्याख्यान में साध्वीश्री ने कहा कि मित्रता में प्रेम और आस्था का दीपक का प्रज्वलित रहना जरुरी है। तृष्णा की गति से दौड़ रही सांसारिक दुनिया में व्यक्ति के लिए मित्रता के अनेक उदाहरणों के साथ उन्होंने कहा कि मोमबत्ती और धागे की जैसी मित्रता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मित्रता के भाव संसार के सभी प्राणियों से रखने चाहिए मगर मित्रता चित्र नहीं बल्कि व्यक्ति का चरित्र जांच-परख कर ही करनी चाहिए।
संगत के असर से जुडे़ प्रसंग तथा मित्रता दिवस पर एक कहानी के माध्यम से डाॅ.कुमुुदलताजी ने यह भी प्रेरणा दी कि मित्र में साधन नहीं साधना, सात्विकता देखनी चाहिए अर्थात् सुख हो या दुख जो मित्रतावश अपना सर्वस्व अर्पण कर दे वही सच्चा मित्र कहलाता है। इससे पूर्व स्वर साम्राज्ञी साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने मां को व्यक्ति का पहला गुरु एवं सबसे बड़ा मित्र बताते हुए एक गीतिका प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि मां के चरणों में श्रद्धा से पुष्प अर्पण करने से चारों धाम के तीर्थ हो जाते हैं।

साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने सुख विपाक सूत्र का वाचन किया। उन्होंने विभिन्न धर्मों के ग्रंथों का जिक्र करते हुए कहा कि जैन धर्म के 32 आगम अपने आप में हमारी सबसे बड़ी दौलत और वसीयत है। उन्होंने कहा कि धन दौलत सांसारिक जीवन की समृद्धि कर सकते हैं, लेकिन 32 आगमरुपी धर्मग्रंथ यदि हमारे घर में होंगे तो आने वाली पीढ़ी में उत्सुकतावश उसका अध्ययन कर संस्कारों की समृद्धिरुपी पोषण से बच्चों का ज्ञानार्जन होगा। साध्वीश्री ने भी बीते युगों की मित्रता व वर्तमान युग की मित्रता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि सामूहिक मंगलाचरण एवं गुरु चालिसा के वाचन से शुरु हुई धर्मसभा में शहर के उपनगरांे से तथा चेन्नई, हैदराबाद, पूणे, नासिक, कालहस्ती, चिकमंगलूर, सिंधनूर व भोपाल से बड़ी संख्या में संघ पदाधिकारियों-सदस्यों व श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को साध्वीवृंद ने अनुमोदना करते हुए पच्चखान कराए। समिति पदाधिकारियों द्वारा आगंतुक अतिथियों व तपस्वियों का सत्कार किया गया।

समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि साध्वीश्री राजकीर्तिजी द्वारा निर्देशित कन्या भ्रुण हत्या रोकने बेटी बचाओं संबंधी जागरुकता सरीखी ‘मुझे दीदी चाहिए..’ विषयक लघु नाटिका का मंचन भी सोनिया बाफना के संचालनीय योगदान में किया गया। रांका ने बताया कि धर्मसभा के बाद मित्रता दिवस के उपलक्ष्य में युवक-युवतियों के लिए मोटीवेशनल स्पीकर राजेश सिसोदिया का विशेष सेमीनार सत्र आयोजित किया गया।
अशोक रांका ने बताया कि प्रतिदिन आयोजित होने वाली ‘जय जिनेंद्र’ प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः सीताबाई, नेहा लूंकड़ व संजय दरड़ा को पुरस्कृत किया गया। अशोक कुमार गादिया ने संचालन किया। सभी का आभार समिति के कोषाध्यक्ष गुलाबचंद पगारिया ने जताया।