विल्लुपुरम के श्री सुसवाणी भवन में चातुर्मासरत आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी उज्जवलप्रभा के सान्निध्य में तपस्याओं की निरन्तर झड़ी लगी हुई हैं। विल्लुपुरम तेरापंथ के इतिहास में आयोजित इस प्रथम चातुर्मास में आज कृष (8वर्ष), साधना (9वर्ष) और श्रद्धा (12वर्ष) के एकासन मासखमन का तपोभिनन्दन कार्यक्रम समायोजित किया गया। नमस्कार महामंत्र से प्रारम्भ कार्यक्रम में साध्वी प्रबोधयशा ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया।
साध्वी उज्जवलप्रभा ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि अचिंत्य आत्म सिद्धियों का द्वार है तपस्या।
आत्मबल, श्रद्धाबल एवं निष्ठाबल के द्वारा ही आत्म उज्ज्वलता प्राप्त होती है। तपोमान व्यक्ति निरंतर आगे बढ़ता है और आत्मनिग्रह भाव से परमानन्द को प्राप्त करता हैं। छोटे-छोटे बच्चों ने एकासन के मासखमन कर अपने दृढ़ मनोबल एवं संकल्पबल का परिचय दिया है। मूर्तिपूजक संप्रदाय के पुजारी निर्मलजी ने 21 उपवास एवं संतोष सुराणा ने 19 उपवास के साध्वीश्री से प्रत्याख्यान किए। आपकी तपस्याएं प्रर्वधमान है।
साध्वी अनुप्रेक्षाश्री ने कहा कि सफलता की प्राप्ति मे केवल बौद्धिक विकास ही पर्याप्त नहीं होता अपितु भावनात्मक विकास का होना भी होना अत्यंत अपेक्षित है। अपने आवेगों और इच्छाओं पर नियंत्रण करने वाला व्यक्ति ही सफल होता है।साध्वी सन्मतिप्रभा ने कहा कि छोटे बच्चों ने अभिनव प्रेरणा की मशाल जलाई है और आगे बढ़े है एवं अपनी आत्मशक्ति का परिचय दिया है। तप एक्सप्रेस में सवार तपस्वी कृष, साधना और श्रद्धा ने एकासन मासखमन कर अपने लक्ष्य का रिजर्वेशन प्राप्त कर लिया।
स्थानकवासी संप्रदाय से दीक्षार्थिनी बहन वंदना ने अपने भावों की सुंदर प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा से जवेरीलाल सुराणा, तेयूप से नितेश सुराणा, महिला मंडल व ज्ञानशाला से अंजली सुराणा, कन्यामंडल से दिशा बाफना ने अपने विचारों द्वारा तपस्वियों का अभिनन्दन किया। महिला मंडल की गीतिका एवं तपस्वियों के परिवार से रक्षा, वंदना, रेखा आंचलिया, दर्शना छल्लानी, वलवनुर ज्ञानार्थियो ने एक छोटी सी नाटिका प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती ललिता सुराणा ने एवं आभार ज्ञापन राजेश सुराणा ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई