हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि अधिक आशा से उपजे निराशा बुढ़ापे में अपने भाग्य का रोना ना रो जो प्रकृति से मिल रहा है उसे प्रेम से स्वीकार करें बच्चों से अधिक आशाएं केप्राय कहते हैं कि बेटा तो बुढ़ापे का सहारा है पर मैं कहती हूं ज्यादा आसान ना पहले जीवन भर अगर आशाएं रखे हैं तो बुढ़ापा में निराश होना पड़ सकता हैl अगर आशा ही ना रखोगे तो निराश भी नहीं होना पड़ेगा देखे तो होगी पड़ोसी का बेटा अपने पिता की सेवा नहीं कर रहा तुम भी अपने पिता की सेवा नहीं कर रहे हो तो अपने बेटे से यह आशा क्यों कर रहे होl यह आशा है जब टूटते हैं तो बुढ़ापे में शिवाय दुख के कुछ हासिल नहीं होताl
तुम निस्वार्थ भाव से बेटों के लिए जितना कर सको कर दो पर वापसी की अपेक्षा ना रखो वरना आवश्यक हड्डी ना करें घर में रहकर यह ना कहीं की जो आपने कह दिया वह क्यों नहीं हुआl कई बार बुड्ढे लोग घर में रहकर झगड़ा पलते हैं या दुखी हो जाते हैं मैंने कहा और घर में लोगों ने ऐसा किया ऐसा क्यों नहीं किया वाक्य शुरू हो जाता हैl घर में आज शांति आ जाती है घर के लोगों को अगर तुम्हारी सलाह की जरूरत हो तो पूछेंगे अगर तुम बिन मांगे दिन पर अपनी सलाह देते रहोगे उसे सलाह की कोई भी कीमत नहीं होगी करके लोग अगर आपके लिए कुछ काम करें तो उन्हें सरधुवा दो कहो कि मेरा बेटा बहुत अच्छा हैl
मेरा बहुत ध्यान रखना है भले ही ना रखता हूं पर शायद तुम्हारे इस प्रकार कहने से ध्यान रखना शुरू कर देंl एक बात और ध्यान रखें कि घर में कभी भी बुरी भाषा का प्रयोग ना करें कई बार बुड्ढे लोग जंग में ऐसी बातें किए जाते हैं जोकर के लोगों को छुपाने लगते हैंl आक्रोश में गलत कठोर शब्दों के कहने की बजाय इस बात को सरल शब्दों में खाने से वह बात अधिक प्रभावशाली होते हैंl आपका शब्द हो चुके आपसे काम नहीं बन रहा तो अभियान पूर्वक बोलने की बजाय मधुरता से बोला अपना कार्य करवा लेl
इन्हीं शुभ भावो के साथ जय जिनेंद्र, जय महावीर,🌹🌹🌹