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अक्कीपेट में वरदायिनी माँ शारदा का जपाराधन 13 को, आचार्यश्री लोकेशमुनि पहुंचे

अक्कीपेट में वरदायिनी माँ शारदा का जपाराधन 13 को, आचार्यश्री लोकेशमुनि पहुंचे
बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने शनिवार को यहां अक्कीपेट संघ के तत्वावधान में अपने प्रवचन ने नवपद की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि चैत्र में नवपद ओली गर्मियों की शुरुआत और सर्दियों के अंत में आती है। इसी प्रकार आश्विन में नवपद ओली सर्दियों की शुरुआत और गर्मियों के अंत में आती है।
दोनों मौसम हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति और नवपद प्रार्थना हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है जबकि आयंबिल (उपवास) और अन्य तपस्या हमें रोगों से लड़ने के लिए उत्साहित करती है तथा हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती है।
आचार्यश्री ने सम्यक चारित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत में चरित्र का मतलब ‘आचरण’ है। इस प्रकार सम्यक चरित्र से तात्पर्य  ‘सही आचरण’ है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए यह तीन रत्नों में से तीसरा है। इसमें सत्तर गुण हैं और प्रतीक रंग सफेद है।
उन्होंने बताया कि शुक्ल चतुर्दशी पर आयंबिल केवल चावल खाकर मनाया जाता है। सम्यक ज्ञान उस रास्ते में आने वाली ऊंच-नीच, सही गलत की पहचान करते हुए व्यवस्थापक का कार्य करता है और चारित्र उस मार्ग में आगे आगे चलकर अनुकरण करने की सीख देता है।
आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी ने प्रवचन के अंत में रविवार को आयोजित  माँ शारदा का शानदार जाप साधना की रूपरेखा को साझा किया वे बोले, रविवार को साधना का भव्य आयोजन किया गया है जिसमें विशेष अतिथी के रूप में आचार्यश्री लोकेश मुनिजी भी पधार रहे हैं। जाप साधना प्रातः ठीक 9 बजे प्रारम्भ होगी।

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