चेन्नई. साहुकारपेट के जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा कि मनुष्य को अकेले साधना करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि भीड़ में लोग बाधा डालने लगते है। बहुत सारे महापुरुष ऐसे थे जो अकेले ही साधना करते थे।
जहां पर एक मनुष्य होता है वहां पर शांति होती है लेकिन जहां अनेक होते है वहां शांति मिलना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि जीवन के कल्याण के लिए शांत माहौल में साधना करना ही बेहतर मार्ग पर ले जाने वाला होता है।
चंदन का मुख्य गुण शीतलता प्रदान करना होता है और जीवन में शीतल होना बहुत ही जरूरी होता है। मनुष्य जितना ठंडा रहेगा वे उतना ही उपर उठता जाएगा। जीव संसार मे अकेला आता ,अकेला ही धन सम्पदा छोडक़र चला जाता है अत: सांसारिक विलासिता का त्याग करना चाहिए।
इन रास्तों को चुन कर मनुष्य को खुद के मन को हल्का कर लेना चाहिए। क्योंकि हल्का मन मनुष्य को दुर्गती से बचाने का कार्य करता है।इससे पहले धर्म सभा मे जयकलश मुनि ने मंगलाचरण किया।